फाइलेरिया उन्मूलन पर कार्यशाला | 08 Oct 2025

चर्चा में क्यों?

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत आरोग्य आयुष्मान मंदिर, चांदकोपा में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीणों को लिम्फेटिक फाइलेरियासिस की रोकथाम, लक्षण और उपचार के बारे में शिक्षित करना था। यह एक मच्छर जनित रोग है, जो विभिन्न क्षेत्रों में हज़ोरों लोगों को प्रभावित करता है।

मुख्य बिंदु

  • लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के बारे में:
    • लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (एलिफेंटियासिस) एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) है, जो मच्छरों के माध्यम से फैलने वाले फाइलेरिया परजीवियों के संक्रमण के कारण होता है।
  • व्यापकता: 
    • वर्ष 2021 में, 44 देशों में लगभग 882.5 मिलियन लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते थे जहाँ संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये निवारक कीमोथेरेपी की आवश्यकता थी।
    • मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) के 75% ज़िले पाँच राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना से हैं।
  • कारण: 
    • यह फाइलेरियोडिडिया परिवार के सूत्रकृमि (गोलकृमि) नामक परजीवियों के संक्रमण से होता है। ये धागे जैसे फाइलेरिया कृमि तीन प्रकार के होते हैं:
      • वुचेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी (90% मामलों के लिये ज़िम्मेदार)
      • ब्रुगिया मलेई (शेष अधिकांश मामलों का कारण)
      • ब्रुगिया टिमोरी (जो भी रोग का कारण बनता है)
  • लक्षण: 
    • अधिकांश संक्रमण लक्षणहीन रहते हैं, लेकिन दीर्घकालिक मामलों में लिम्फोएडेमा, एलिफेंटियासिस और हाइड्रोसील होता है, जिससे विकलांगता और सामाजिक कलंक होता है।
  • उपचार और रोकथाम: 
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) जोखिमग्रस्त लोगों को संचरण को रोकने के लिये वार्षिक निवारक कीमोथेरेपी प्रदान करता है।
  • वैश्विक और राष्ट्रीय प्रयास: 
    • वर्ष 2000 में शुरू किया गया लिम्फेटिक फाइलेरियासिस उन्मूलन हेतु वैश्विक कार्यक्रम (GPELF) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक निवारक कीमोथेरेपी और रुग्णता प्रबंधन के माध्यम से इसका उन्मूलन करना है।
    • भारत का मिशन मोड MDA अभियान, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (10 फरवरी और 10 अगस्त) के साथ संरेखित है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2027 तक कृमि उन्मूलन करना है, जो वैश्विक लक्ष्य से तीन वर्ष पहले है।