उत्तराखंड में महिलाओं को मिला क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार, राज्यपाल ने विधेयक को दी मंज़ूरी | 11 Jan 2023

चर्चा में क्यों?

10 जनवरी, 2023 को उत्तराखंड के राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह (सेनि.) ने उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिये क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 को मंज़ूरी दे दी। राजभवन से विधेयक को विधायी विभाग भेज दिया गया है, जिसका गजट नोटिफिकेशन जल्द जारी हो जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • राजभवन को 14 विधेयक मंज़ूरी के लिये भेजे गए थे। इनमें से महिला आरक्षण समेत 12 को मंज़ूरी मिल गई है, जबकि भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक और हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक को राजभवन से अभी मंज़ूरी नहीं मिली है।
  • राज्यपाल की मंज़ूरी के साथ ही उत्तराखंड में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार मिल गया है। आरक्षण का लाभ उन सभी महिलाओं को मिलेगा, जिनका उत्तराखंड राज्य का अधिवास (डोमिसाइल) है। बेशक वे राज्य से बाहर किसी भी स्थान पर निवास कर रही हों।
  • प्रदेश सरकार ने 30 नवंबर, 2022 को विधानसभा में बिल को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा था। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में 14 विधेयक पारित हुए थे। अधिकतर संशोधित विधेयक थे, इनमें महिला आरक्षण बिल भी शामिल था।
  • दरअसल, राजभवन से ज्यादातर विधेयकों को मंज़ूरी मिल गई थी, लेकिन महिला क्षैतिज आरक्षण बिल विचाराधीन रहा। राजभवन ने विधेयक को मंज़ूरी देने से पहले इसका न्याय और विधि विशेषज्ञों से परीक्षण कराया। इससे विधेयक को मंज़ूरी मिलने में एक महीने का समय लग गया।
  • हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा के पदों के लिये आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी। हरियाणा की पवित्रा चौहान व अन्य अभ्यर्थियों ने यह याचिका दायर की थी।
  • राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार की विशेष अनुग्रह याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इस तरह आरक्षण बरकरार रहा। सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले में सात फरवरी को सुनवाई होनी है।
  • महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर कब क्या हुआ-
    • 18 जुलाई, 2001 को अंतरिम सरकार ने 20 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किया।
    • 24 जुलाई, 2006 को तत्कालीन तिवारी सरकार ने आरक्षण को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया।
    • 26 अगस्त, 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई।
    • 04 नवंबर, 2022 को सरकार की एसएलपी पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
    • 29 नवंबर, 2022 को सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पेश किया।
    • 30 नवंबर, 2022 को सरकार ने विधेयक को सर्वसंमति से पारित कराकर राजभवन भेजा।
    • 10 जनवरी, 2022 को राज्यपाल ने विधेयक को मंज़ूरी दे दी।