मध्यप्रदेश के राजमार्गों पर वन्यजीवों का संरक्षण | 12 Dec 2025

चर्चा में क्यों?

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सड़क सुरक्षा में सुधार और वन्यजीवों के संरक्षण के लिये भोपाल-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के 2 किलोमीटर के भाग पर 5 मिमी मोटी "टेबल-टॉप रेड मार्किंग" शुरू की है।

प्रमुख बिंदु

  • उद्देश्य: दो लेन से चार लेन में राजमार्ग के विस्तार की एक बड़ी परियोजना का हिस्सा यह पहल विशेष रूप से वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व के पास वाले क्षेत्रों में वन्यजीव संबंधी दुर्घटनाओं को कम करने के लिये की गई है।
  • डिज़ाइन: “टेबल-टॉप” रेड मार्किंग भारत में अपनी तरह की पहली तकनीक है, जिसमें चमकीला लाल टेक्सचर उपयोग किया जाता है, जो चालकों के वन्यजीव-संवेदनशील क्षेत्रों में प्रवेश करते ही वाहन की गति को कम कर देता है।
  • अतिरिक्त विशेषताएँ: सड़क के किनारों पर व्हाईट शोल्डर लाइन भी पेंट की गई हैं, जिससे चालक सही दिशा में रहें और पक्की सड़क से बाहर न जाएँ, जिससे वाहनों और जानवरों दोनों की सुरक्षा बढ़ती है।
  • अंडरपास: NHAI ने 11.9 किमी राजमार्ग पर लगभग 25 अंडरपास बनाए हैं, ताकि जानवर सुरक्षित रूप से सड़क पार कर सकें और उनके आवासों में होने वाली बाधाओं को कम किया जा सके।
  • लागत और कवरेज़: 122.25 करोड़ रुपए की लागत वाली यह परियोजना 11.9 किमी लंबे राजमार्ग को कवर करती है, जिसमें से दो किलोमीटर विशेष रूप से लाल टेबल-टॉप तकनीक से चिह्नित किये गए हैं।
  • दुर्घटनाएँ और मौतें: विगत दो वर्षों में मध्य प्रदेश में ऐसे 237 जानवर और वाहन के बीच टकराव के मामले दर्ज किये गए, जिनमें 94 मौतें भी शामिल हैं।
  • वैश्विक उदाहरण: यह पहल अंतर्राष्ट्रीय उदाहरणों जैसे कनाडा के बैन्फ़ नेशनल पार्क और नीदरलैंड के “इकोडक्ट्स” से प्रेरित है, जहाँ वन्यजीव मार्ग एवं सड़क सुरक्षा उपाय अपनाए जाते हैं।
  • वन्यजीवों की चिंता: भोपाल–जबलपुर मार्ग नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य जैसे वन्यजीव-समृद्ध क्षेत्रों से होकर गुजरता है, जहाँ हिरण, सियार और बाघ जैसे जानवर प्रायः सड़क पार करते हैं।
  • अपेक्षित परिणाम: उन्नत राजमार्ग, रेड मार्किंग और अंडरपास के साथ, दुर्घटनाओं को कम करने, वन्यजीवों की रक्षा करने और कनेक्टिविटी में सुधार करके पर्यटन और राजस्व को बढ़ावा देने की उम्मीद है