राजस्थान में जल संरक्षण के प्रयास | 06 Jun 2025
चर्चा में क्यों?
विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2025) पर राजस्थान ने पारंपरिक जल स्रोतों को बहाल करने, जल संचयन संरचनाओं के निर्माण, भूजल पुनर्भरण और बाँधों तथा नहरों की मरम्मत पर ध्यान केंद्रित करते हुए दो सप्ताह का जल संरक्षण अभियान शुरू किया।
मुख्य बिंदु
- अभियान के बारे में:
- मुख्यमंत्री ने राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में जल संरक्षण अभियान का उद्घाटन किया और जन भागीदारी का आग्रह किया तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने की नैतिक ज़िम्मेदारी पर प्रकाश डाला।
- जयपुर के निकट रामगढ़ बाँध के जीर्णोद्धार के लिये श्रमदान कार्यक्रम आयोजित किया गया, साथ ही बूँदी ज़िले के केशोरायपाटन में चंबल नदी के तट पर नई जल संरक्षण परियोजनाओं का शुभारंभ भी किया गया।
- संरक्षण परियोजनाएँ:
- 345 करोड़ रुपए की जल संरक्षण परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाएगा।
- अभियान में पारंपरिक जल स्रोतों की सफाई, श्रमदान शिविर और वृक्षारोपण अभियान शामिल होंगे।
- जलवायु एवं पर्यावरण पहल के लिये समझौता ज्ञापन:
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन योजना 2030 तैयार करने के लिये राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र, नई दिल्ली के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
- उत्सर्जन व्यापार योजना को लागू करने तथा अलवर और भिवाड़ी के लिये पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिये अतिरिक्त समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए।
- राजस्थान में पारंपरिक जल ज्ञान:
- राजस्थान में लोग ऐतिहासिक रूप से जल संरक्षण के लिये बावड़ी, जोहड़, तालाब और कुओं जैसे अद्वितीय तरीकों का उपयोग करते हैं।
- राज्य सरकार ने इन पारंपरिक प्रथाओं को पुनर्जीवित करने के लिये प्रत्येक ज़िले में कम-से-कम 125 जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण करने की प्रतिबद्धता जताई है।
राजस्थान की जल संचयन प्रणालियाँ
जल संचयन प्रणाली |
विवरण |
बावली |
मेहराब, नक्काशीदार आकृतियाँ और कमरों के साथ सीढ़ीनुमा संरचना। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में शहरी जल भंडारण का अभिन्न अंग। |
झलारा |
आयताकार सीढ़ीनुमा जलस्रोत, जिनमें तीन या चार ओर से स्तरित सीढ़ियाँ होती हैं। ये जलाशयों या झीलों से जल एकत्र करने के लिये बनाए जाते हैं। |
टांका (Taanka) |
छतों या जलग्रहण क्षेत्रों से वर्षा जल एकत्र करने के लिये बनाया गया बेलनाकार भूमिगत गड्ढा। |
खड़ीन (ढोरा) |
पहाड़ी ढलानों पर लंबे मिट्टी के तटबंध, जो कृषि के लिये सतही जल को एकत्र करते हैं। |
कुंडी (Kundi) |
गहरे, गोल या आयताकार गड्ढे की संरचना, जो शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में जहाँ जल दुर्लभ होता है तथा वर्षा अनिश्चित होती है, अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। |