उत्तराखंड ने विदेशियों के लिये विवाह नियमों को आसान बनाया | 14 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC) में एक महत्त्वपूर्ण संशोधन को मंज़ूरी दी है, जिसके तहत अब राज्य में निवास कर रहे नेपाली, भूटानी और तिब्बती मूल के नागरिक, बिना आधार कार्ड के भी अपना विवाह पंजीकृत करा सकेंगे।
मुख्य बिंदु
- पात्रता: अब नेपाल, भूटान और तिब्बत के नागरिक अपने विवाह का पंजीकरण वैकल्पिक पहचान-पत्रों के माध्यम से कर सकते हैं, जैसे- नागरिकता प्रमाण-पत्र, निवास प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट, या वैध पहचान-पत्र।
- जिन नागरिकों का विवाह पहले से हो चुका है या होने वाला है, वे भी इन दस्तावेज़ों को ऑनलाइन अपलोड कर अपना विवाह पंजीकृत करा सकते हैं।
- संशोधन का उद्देश्य: यह संशोधन विशेष रूप से नेपाल, भूटान और तिब्बत से जुड़े विदेशी नागरिकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिनके उत्तराखंड के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध गहन हैं।
- ये क्षेत्र उत्तराखंड के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं और राज्य के साथ इनके लंबे समय से निवास, पारिवारिक संबंध और वैवाहिक जुड़ाव रहे हैं।
- राज्य सरकार ने इन नागरिकों को सामाजिक न्याय प्रणाली में शामिल करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को स्वीकार किया है कि वे विवाह पंजीकरण जैसी कानूनी प्रक्रियाओं से वंचित न रहें।
- उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के प्रमुख प्रावधान:
- फरवरी 2024 में पारित UCC के प्रावधानों से राज्य के जनजातीय समुदायों को बाहर रखा गया है।
- इस संहिता के तहत हलाला, इद्दत और तलाक जैसी प्रथाओं (जो मुस्लिम व्यक्तिगत कानून से संबंधित हैं) पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- यह कानून महिलाओं को संपत्ति और उत्तराधिकार मामलों में समान अधिकार प्रदान करता है।
- UCC के तहत विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य है। पंजीकरण न कराने वाले दंपतियों को सरकारी लाभों से वंचित किया जाएगा।
- अपंजीकृत लिव-इन संबंधों के लिये कड़े नियम बनाए गए हैं, हालाँकि ऐसे संबंधों से जन्मे बच्चों को धर्मज (legitimate) माना जाएगा।