उत्तर प्रदेश चमड़ा और फुटवियर नीति-2025 | 30 Apr 2025

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने चमड़ा और फुटवियर नीति-2025 का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही मंजूरी मिलने की संभावना है।

मुख्य बिंदु

  • नीति के बारे में:
    • उद्देश्य

      • उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना।
      • निर्यात को प्रोत्साहित करना और वैश्विक ब्रांड की उपस्थिति को बढ़ाना।
      • राजस्व में वृद्धि कर राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
        उत्तर प्रदेश को "उद्यम प्रदेश" बनाने के दृष्टिकोण को साकार करना।
    • रणनीतिक पहल
      • कानपुर को इस क्षेत्रीय विकास रणनीति में केंद्रीय भूमिका दी जाएगी।
      • इससे आगरा, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ और बरेली जैसे शहरों में क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा।
    • निजी औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा
      • निजी निवेशकों को पूंजीगत सब्सिडी और 100 प्रतिशत स्टांप शुल्क छूट जैसे प्रोत्साहन।
      • सभी पार्कों को 5 वर्षों में विकसित करना अनिवार्य।
      • कम-से-कम 25 प्रतिशत भूमि को हरित एवं खुले क्षेत्र के लिये आरक्षित करना होगा।
      • प्रत्येक इकाई (संयंत्र, क्लस्टर या पार्क) को ₹150-200 करोड़ का न्यूनतम निवेश करना होगा।
      • एक इकाई से 1,000 से 3,000 रोज़गार के अवसर उत्पन्न होने की संभावना है।
    • उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति
      • भारत से निर्यात होने वाले कुल चमड़े में 46 प्रतिशत हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है।
      • आगरा को फुटवियर राजधानी और कानपुर को सुरक्षा जूतों और चमड़े के सामान का वैश्विक केंद्र माना जाता है।
    • महत्त्व:
      • यह नीति उत्तर प्रदेश को मेक इन इंडिया” और “लोकल टू ग्लोबल” पहल के अनुरूप एक औद्योगिक हब के रूप में उभरने में मदद करेगी।

मेक इन इंडिया 

परिचय: 

  • वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है।
  • इस अभियान को निवेश को सुविधाजनक बनाने, नवाचार एवं कौशल विकास को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने तथा सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने के लिये शुरू किया गया था।
  • लक्ष्य:
    • विनिर्माण क्षेत्र की संवृद्धि दर को बढ़ाकर 12-14% प्रतिवर्ष करना।
    • वर्ष 2022 तक (संशोधित तिथि 2025) विनिर्माण से संबंधित 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना।
    • वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 25% करना।