केंद्रीय खान एवं कोयला मंत्रालय ने बिहार में विभिन्न खनिजों के खनन के लिये सात ब्लॉक का आवंटन किया | 16 Jan 2023

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय खान एवं कोयला मंत्रालय ने बिहार में ग्लूकोनाइट (पोटाश), क्रोमियम, निकेल सहित प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट, मैग्नेटाइट (आयरन), बॉक्साइट और दुर्लभ मृदा धातुओं के खनन के लिये सात ब्लॉक का आवंटन बिहार राज्य सरकार को किया है।

प्रमुख बिंदु   

  • इन खनिजों का खनन इसी साल शुरू होगा। इसके लिये इन सभी में खनन की मंज़ूरी का प्रस्ताव इसी महीने खान एवं भू-तत्त्व विभाग की तरफ से राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में पेश किया जाएगा। इसमें खनिज तत्त्वों से राज्य सरकार और खनन एजेंसी को होने वाले आय के संबंध में भी दिशा-निर्देश तय होगा।
  • राज्य मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिलते ही चार ज़िलों में मौजूद खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसमें रोहतास, गया, औरंगाबाद और जमुई शामिल हैं। सरकार इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिये ‘एसबीआई कैप्स’की सेवा ले रही है।
  • गौरतलब है कि खान एवं भू-तत्त्व विभाग ने एसबीआई कैप्स-निवेश बैंक और परियोजना सलाहकार से एक विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है। रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार सभी ज़िलों में करीब 20 हज़ार करोड़ रुपए के ग्लूकोनाइट और लौह अयस्क के भंडार को पट्टे के आधार पर खनन की अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
  • इससे पहले सर्वे में रोहतास ज़िले में करीब 25 वर्ग किमी. इलाके में ग्लूकोनाइट मिला था। इसमें ज़िले के नावाडीह प्रखंड में 10 वर्ग किमी., टीपा में आठ वर्ग किमी. और शाहपुर प्रखंड में सात वर्ग किमी. का इलाका शामिल है।
  • इसके साथ ही गया और औरंगाबाद ज़िले की सीमा पर मदनपुर प्रखंड के डेंजना और आसपास के इलाकों में करीब आठ वर्ग किमी. क्षेत्र में निकेल और क्रोमियम पाया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि ग्लूकोनाइट (पोटाश) का बड़े पैमाने पर औषधि व रासायनिक खाद में इस्तेमाल होता है। निकेल का उपयोग लोहे व अन्य धातुओं पर परत चढ़ाकर उन्हें जंग लगने से बचाने के लिये किया जाता है। यह एक लौह चुंबकत्व रखने वाला तत्त्व है और इससे बने चुंबक कई उद्योगों में इस्तेमाल होते हैं।
  • इसके अलावा निकेल को इस्पात में मिलाकर उसे ‘स्टेनलेस’(जंग-रोधक) बनाया जाता है, जबकि क्रोमियम का उपयोग मिश्रधातु बनाने में किया जाता है। स्टील को अधिक कठोर बनाने, चर्मशोधन में यह काम आता है। मानव शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करने में भी यह कारगर है। शीशे को हरा रंग देने, क्रोम प्लेटिंग समेत अन्य कार्यों में यह प्रभावी है। इसका उपयोग तेल उद्योग में उत्प्रेरक, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और जंग अवरोधक के रूप में किया जाता है।