भोपाल की झीलों का जल पीने योग्य नहीं | 18 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) ने बताया है कि झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध भोपाल की कई झीलों का जल प्रदूषित हो चुका है।
मुख्य बिंदु
- MPPCB द्वारा जल गुणवत्ता मूल्यांकन:
- मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) ने भोपाल की प्रमुख झीलों की जल गुणवत्ता का विश्लेषण जनवरी से अप्रैल तक चार माह की अवधि में किया।
- झीलों को प्रदूषण स्तर और संभावित उपयोग के आधार पर A से C श्रेणी में वर्गीकृत किया गया
- श्रेणी A: केवल कीटाणुशोधन के बाद पीने योग्य जल।
- श्रेणी B: बाहरी स्नान के लिये उपयुक्त।
- श्रेणी C: केवल परंपरागत उपचार और कीटाणुशोधन के बाद पीने योग्य।
- भोपाल में प्रमुख झीलों की स्थिति:
- अपर लेक:
- यह भोपाल के लिये पेयजल का एक प्रमुख स्रोत है, इसे लगातार B श्रेणी में पाया गया है।
- श्रेणी B यह दर्शाती है कि पानी केवल बाहरी स्नान के लिये उपयुक्त है, प्रत्यक्ष उपभोग के लिये नहीं।
- लोअर लेक:
- यह झील अपर लेक की तुलना में अधिक प्रदूषित पाई गई। पूरे मूल्यांकन काल में यह लगातार श्रेणी C में रही।
- इसका जल पीने से पहले पूर्ण उपचार एवं कीटाणुशोधन की आवश्यकता है।
- शाहपुरा झील:
- शाहपुरा झील जनवरी से अप्रैल तक की मूल्यांकन अवधि में श्रेणी C में रही।
- प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर के कारण झील का पानी सीधे उपयोग के लिये अनुपयुक्त हो गया है तथा इसे पीने से पहले पूर्ण उपचार की आवश्यकता है।
- हथाईखेड़ा बाँध:
- हथाईखेड़ा बाँध की जल गुणवत्ता भी सभी चार महीनों के दौरान श्रेणी C के अंतर्गत वर्गीकृत की गई।
- यहाँ का पानी उचित उपचार के बिना पीने योग्य नहीं है।
- इसबाँध का निर्माण कोलार नदी पर किया गया है।
- कलियासोत बाँध:
- यह भोपाल में कलियासोत नदी पर बना है। इसे मार्च और अप्रैल के महीनों के लिये श्रेणी 'A' तथा जनवरी और फरवरी के लिये श्रेणी 'B' का दर्जा दिया गया है।
- मूल्यांकन अवधि के दौरान न्यूनतम उपचार के साथ पानी पीने योग्य था।
- केरवा बाँध:
- इसमें भी कलियासोत बाँध के समान प्रवृत्ति देखी गई।
- इसे मार्च और अप्रैल में श्रेणी A तथा जनवरी और फरवरी में श्रेणी B में रखा गया।
- यह बाँध भोपाल के पास केरवा नदी पर स्थित है।
- प्रमुख प्रदूषण संकेतक:
- कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की उपस्थिति: कई झीलों में इसकी मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक पाई गई। यह मानव मल प्रदूषण का संकेत देता है।
- सीवेज प्रवाह: झीलों में अशोधित सीवेज का प्रवाह जल प्रदूषण का मुख्य कारण है।
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB)
- यह राज्य में प्रदूषण की रोकथाम और पर्यावरण संरक्षण के लिये उत्तरदायी निकाय है।
- यह विभिन्न प्रमुख पर्यावरणीय कानूनों को लागू करता है, जिनमें शामिल हैं:
- जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के कुछ प्रावधान
- सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991
- मध्य प्रदेश जैव अनाश्य अपशिष्ट (नियंत्रण) अधिनियम एवं नियम
- बोर्ड का मुख्य उद्देश्य विभिन्न प्रयोजनों के लिये स्वच्छ और उपयोगी वायु, जल तथा मिट्टी को बनाए रखना है।
- इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु बोर्ड राज्य में 14 क्षेत्रीय कार्यालय तथा 3 ज़िला कार्यालय संचालित करता है।