बिहार शहरी आयोजना तथा विकास (संशोधन) विधेयक, 2022 | 29 Mar 2022

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2022 को उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने विधानसभा में बिहार शहरी आयोजना तथा विकास (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

प्रमुख बिंदु

  • विधेयक के तहत मास्टर प्लान की ज़रूरतों के मुताबिक सरकारी प्राधिकार की ओर से होने वाले ज़मीन अधिग्रहण में भू- स्वामियों की सहमति की बाध्यता समाप्त कर दी गई है।
  • इससे पहले शहरी विकास के लिये अधिग्रहण के समय 80 प्रतिशत ज़मीन मालिकों की सहमति या कुल भू-भाग के 80 प्रतिशत हिस्से के ज़मीन के मालिकों की सहमति की बाध्यता थी।
  • इस विधेयक के तहत राज्य सरकार अब शहरीकरण के लिये किसी स्थान पर ज़रूरत के मुताबिक भूमि का अधिग्रहण कर सकती है। इसके एवज में संबंधित ज़मीन वाले व्यक्ति को मुआवज़ा दिया जाएगा।
  • इसके साथ ही विधानसभा में चार अन्य राजकीय विधेयक भी पारित किये गए।
  • बिहार कराधान विधि (समय-सीमा प्रावधानों का शिथिलीकरण) विधेयक, 2022 में राज्य में छोटे करदाताओं के लिये रिटर्न दायर करने में छूट दी गई है। अब वे तिमाही की बजाय वार्षिक रिटर्न दायर कर सकते हैं। डेढ़ करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर
  • वाले व्यापारियों के लिये कंपोजिट स्कीम शुरू की गई है।
  • बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (संशोधन) विधेयक, 2022 के तहत आयोग के अध्यक्ष के लिये अधिकतम उम्रसीमा 75 वर्ष और सदस्यों के लिये 70 वर्ष तय की गई है। पहले अध्यक्ष के लिये 72 वर्ष और सदस्य के लिये 65 वर्ष उम्रसीमा तय थी।
  • कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति में अब राज्य सरकार की सहमति अनिवार्य होगी। सर्च पैनल तीन सबसे उपयुक्त लोगों के नामों का सुझाव राज्य सरकार को देगा। इसके बाद राज्यपाल की सहमति लेकर कुलपति का चयन किया जाएगा।