सांगानेरी प्रिंटेड कंबल कवर | 18 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
यात्री सुविधा बढ़ाने और भारतीय पारंपरिक लिये को बढ़ावा देने के प्रयास में, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेन कंबलों के लिये सांगानेरी प्रिंटेड कवर पेश करने वाली एक पायलट परियोजना शुरू की।
- इस कंबल परियोजना के साथ-साथ, मंत्री ने उत्तर-पश्चिम रेलवे जोन के 65 छोटे और मध्यम आकार के स्टेशनों पर अपग्रेडेड प्लेटफॉर्म और यात्री सुविधाओं का भी उद्घाटन किया, जिसमें कुल निवेश ₹100 करोड़ है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: यह पायलट पहल जयपुर के खतिपुरा रेलवे स्टेशन पर शुरू की गई और यह भारतीय रेलवे में समग्र यात्री अनुभव सुधारने की दिशा में एक कदम है।
- कार्यान्वयन: परियोजना को प्रारंभ में जयपुर-असरावा सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12981) की AC कोचों में पायलट आधार पर लागू किया जाएगा।
- उद्देश्य: पहल का उद्देश्य धुलाई योग्य प्रिंटेड कंबलों के माध्यम से स्वच्छता और यात्री संतुष्टि को बढ़ाना है, जो घरेलू उपयोग वाले मॉडलों के समान हैं।
- डिज़ाइन विचार: सांगानेरी प्रिंटेड कंबलों को टिकाऊपन, धुलाई में आसानी और लंबे समय तक प्रिंट टिकने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- सांस्कृतिक समाकलन: सांगानेरी प्रिंट के अतिरिक्त, रेलवे विभिन्न राज्यों के पारंपरिक वस्त्र डिज़ाइनों को प्रदर्शित करने की योजना बना रहा है, जिससे रेलवे सेवाओं के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
सांगानेरी-प्रिंट
- उत्पत्ति और परंपरा: सांगानेरी राजस्थान के जयपुर ज़िले का एक छोटा गाँव है, जो सदियों पुरानी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की परंपरा के लिये प्रसिद्ध है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।
- डिज़ाइन विशेषताएँ: इस लिये की पहचान जटिल पुष्प आकृतियों और बारीक विवरणों से होती है, जो गहरी कलात्मक विरासत को दर्शाती हैं।
- प्रेरणा और सौंदर्यशास्त्र: सांगानेरी प्रिंट प्रकृति और मुगल वास्तुकला से प्रेरित होते हैं, जिससे सुंदर, सुसंगत एवं समृद्ध पैटर्न वाले डिज़ाइन तैयार होते हैं, जिन्हें प्राकृतिक रंगों के साथ बनाया जाता है।