उत्तराखंड में साल के बीज लाएंगे समृद्धि, वनोपज में जुड़ा नया अध्याय | 26 Jun 2023

चर्चा में क्यों?

25 जून, 2023 को उत्तराखंड वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन ने बताया कि प्रदेश में पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के रूप में साल के बीजों को इकट्ठा कर बाज़ार में बेचने की योजना पर काम किया जा रहा है। इस तरह से वन बाहुल्य प्रदेश उत्तराखंड में वनोपज का नया अध्याय जुड़ गया है।

प्रमुख बिंदु

  • प्रदेश में करीब पाँच हज़ार वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैले साल के जंगल ग्रामीणों और वन विभाग की आय का नया जरिया बनेंगे। प्रदेश में धामी सरकार का जोर वनों से आय बढ़ाने पर है।
  • इसके लिये इको टूरिज़्म के अलावा वनों से मिलने वाली विभिन्न प्रकार की उपज से कैसे समृद्धि लाई जा सकती है, इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से अधिकारियों को निर्देश दिये गए हैं। इसी कड़ी में वन विभाग ने साल के बीजों से आय जुटाने की इस योजना पर पहली बार काम शुरू किया है।
  • एक अनुमान के अनुसार उत्तराखंड में करीब 45 लाख कुंतल साल के बीजों का उत्पादन होता है। हालांकि इस योजना में सभी बीजों को इकट्ठा नहीं किया जाएगा, बल्कि इसके लिये फायर लाइन और सड़कों के किनारे गिरे बीजों को इकट्ठा किया जाएगा। इस हिसाब से लाखों कुंतल बीज इकट्ठा हो जाएंगे।
  • आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में हजारों वर्षों से पित्त, ल्यूकोरिया, गोनोरिया, त्वचा रोग, पेट संबंधी विकार, अल्सर, घाव, दस्त और कमज़ोरी के इलाज में साल के बीज का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, चॉकलेट बनाने में भी साल के बीजों का प्रयोग किया जाता है।
  • साल के बीजों से बहुमूल्य खाद्य तेल निकाला जाता है। बीज में 19.20 प्रतिशत तेल होता है। तेल का उपयोग मक्खन के विकल्प के रूप में और मिष्ठान्न तथा खाद्य पदार्थों में भी किया जाता है। तेल निकालने के बाद बची खली में 10.12 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इसका उपयोग मुर्गियों के चारे के रूप में किया जाता है।
  • देश में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड ऐसे राज्य हैं, जहाँ बड़े पैमाने पर साल के बीजों को प्रमुख वनोपज के तौर पर लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से इकट्ठा करवाया जाता है। इन राज्यों में साल के बीजों का हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी जारी किया जाता है।