बाल विवाह में वृद्धि | 13 Jan 2024

चर्चा में क्यों?

भारत में बाल विवाह पर हाल ही में किये गए लैंसेट अध्ययन में देश भर में बाल विवाह में समग्र कमी पर प्रकाश डाला गया। हालाँकि इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि कुछ राज्यों, विशेष रूप से बिहार (16.7%), पश्चिम बंगाल (15.2%), उत्तर प्रदेश (12.5%) और महाराष्ट्र (8.2%) ने सामूहिक रूप से बालिकाओं के बाल विवाह के कुल मामलों में आधे से अधिक का योगदान दिया।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (NFHS 2015-16) के अनुसार, 20-24 वर्ष के बीच की 39.1% बालिकाओं की शादी 18 साल से पहले हो जाती है।
  • इसका तात्पर्य है कि 5 में से 2 बालिकाओं की शादी उनकी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने से पहले ही कर दी जाती है।
  • ज़िला स्तरीय घरेलू सर्वेक्षण (NFHS-4, 2015-16) के अनुसार बिहार में CRY-समर्थित परियोजनाओं के हस्तक्षेप क्षेत्रों में बाल विवाह का प्रतिशत सर्वाधिक सुपौल ज़िले में था, इसके बाद बेगुसराय, जमुई, समस्तीपुर और गया ज़िले थे।.
  • जैसा कि नवीनतम जनगणना (2011) के आँकड़ों से पता चलता है, 13 मिलियन से अधिक किशोर बालिकाएँ ऐसी हैं जिनकी शादी 10 से 19 वर्ष की उम्र के बीच हुई है।
  • भारत में 3.8 मिलियन बालिकाएँ माता हैं, जिनमें से 1.4 मिलियन के किशोरावस्था पूरी होने से पहले ही दो या अधिक बच्चे थे।
  • उनकी शिक्षा प्रोफाइल के एक संक्षिप्त विश्लेषण से पता चलता है कि 39% बालिकाएँ जो निरक्षर थीं, उन्होंने बच्चों को जन्म देना शुरू कर दिया था, जबकि 26% लड़कियाँ साक्षर थीं, जिससे साबित होता है कि थोड़ी सी शिक्षा भी लड़कियों को सशक्त बनाने में बहुत मदद करती है।
  • बाल विवाह के मुद्दे को स्थायी रूप से संबोधित करने के लये अंतर-विभागीय अभिसरण सुनिश्चित करना समय की मांग है जहाँ स्कूलों, समेकित बाल विकास योजना (ICDS) और पंचायती-राज संस्थानों को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
  • समेकित बाल संरक्षण योजना के बाद, ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर पर बाल संरक्षण समितियों के गठन एवं सुदृढ़ीकरण पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, जिन्हें इन इकाइयों को बाल विवाह से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये जवाबदेह होना होगा।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4)

  • 29 राज्यों के अलावा NFHS-4 में पहली बार सभी छह केंद्रशासित प्रदेश शामिल थे और जनगणना 2011 के अनुसार, देश के सभी 640 ज़िलों के लिये ज़िला स्तर पर अधिकांश संकेतकों के अनुमान उपलब्ध कराए गए थे।
  • सर्वेक्षण में प्रजनन, शिशु एवं बाल मृत्यु दर, मातृ और शिशु स्वास्थ्य, प्रसवकालीन मृत्यु दर, किशोर प्रजनन स्वास्थ्य, उच्च जोखिम वाले यौन व्यवहार, सुरक्षित इंजेक्शन, तपेदिक व मलेरिया, गैर-संचारी रोग, घरेलू हिंसा, HIV ज्ञान तथा HIV से ग्रसित लोगों के प्रति दृष्टिकोण सहित स्वास्थ्य से संबंधित कई मुद्दों को शामिल किया गया था।