राजस्थान में दुर्लभ मृदा खनिज उत्पादन | 17 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और परमाणु खनिज निदेशालय (AMD) द्वारा किये गए सर्वेक्षणों से राजस्थान के बालोतरा स्थित सिवाना तहसील के भाटी खेड़ा में दुर्लभ मृदा खनिजों के बड़े भंडार का पता चला है।
- सर्वेक्षणों, प्रौद्योगिकी तथा आधारभूत ढाँचे में हो रही प्रगति के चलते, राजस्थान निकट भविष्य में वैश्विक दुर्लभ मृदा खनिज बाज़ार का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकता है।
मुख्य बिंदु
राजस्थान में दुर्लभ मृदा भंडार के बारे में:
- भारत का पहला हार्ड रॉक दुर्लभ खनिज ब्लॉक:
- बालोतरा के भाटी खेड़ा में दुर्लभ मृदा खनिजों का महत्त्वपूर्ण भंडार है, जो आधुनिक प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण 17 उच्च-मांग वाले तत्त्वों की उपस्थिति की पुष्टि करता है।
- यह देश का पहला ऐसा ब्लॉक बनने जा रहा है, जिसमें कठोर चट्टान ग्रेनाइट में दुर्लभ मृदा खनिज मौजूद होंगे, जो खनिज निष्कर्षण के लिये अधिक चुनौतीपूर्ण माना जाता है।
- जी2 स्तर के सर्वेक्षण से इन खनिजों के बड़े भंडार की पुष्टि होती है, जिससे यह एक महत्त्वपूर्ण खोज बन गई है।
- सर्वेक्षण और खनन प्रक्रिया:
- GSI तथा AMD द्वारा बालोतरा और जालोर ज़िलों में विस्तृत सर्वेक्षण किया गया है। भाटी खेड़ा में सर्वेक्षण लगभग पूर्ण होने के निकट है।
केंद्र सरकार शीघ्र ही इन खनिजों के खनन पट्टों की नीलामी करेगी, जिससे निजी कंपनियों तथा राज्य एजेंसियों के लिये अवसर खुलेंगे। - चूँकि भाटी खेड़ा के आसपास कोई वन्यजीव अभयारण्य या संरक्षित क्षेत्र नहीं है, अतः यहाँ पर्यावरणीय या स्थानीय स्तर की चुनौतियाँ न्यूनतम हैं।
- GSI तथा AMD द्वारा बालोतरा और जालोर ज़िलों में विस्तृत सर्वेक्षण किया गया है। भाटी खेड़ा में सर्वेक्षण लगभग पूर्ण होने के निकट है।
दुर्लभ मृदा खनिजों के बारे में
- दुर्लभ मृदा खनिज वे खनिज हैं, जिनमें एक या एक से अधिक दुर्लभ मृदा तत्त्व (Rare Earth Elements - REEs) प्रमुख धात्विक घटक के रूप में उपस्थित होते हैं।
- दुर्लभ मृदा तत्त्वों में आवर्त सारणी के 15 लैंथनाइड, स्कैन्डियम और यट्रियम शामिल हैं।
- इनका उपयोग उच्च तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स, मैग्नेट्स, नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों तथा रक्षा क्षेत्र में किया जाता है।
- महत्त्वपूर्ण खनिज:
- वे खनिज जो किसी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति, तकनीकी विकास या राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु आवश्यक होते हैं तथा जिनकी आपूर्ति बाधित हो सकती है, उन्हें 'महत्त्वपूर्ण खनिज' कहा जाता है।
- इनकी आपूर्ति पर संकट उन स्थितियों में उत्पन्न हो सकता है जब इनका खनन या प्रसंस्करण केवल कुछ ही क्षेत्रों में केंद्रित हो या किसी भू-राजनीतिक जोखिम के अधीन हो।
भारत ने 30 महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहचान की है, जिनमें एंटिमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट और जर्मेनियम प्रमुख हैं। - चीन इन खनिजों के वैश्विक प्रसंस्करण पर प्रभुत्व रखता है तथा दुर्लभ मृदा खनिजों की प्रसंस्करण क्षमता का लगभग 80-90% नियंत्रित करता है।
- भारत इन महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये विशेष रूप से चीन पर निर्भर है।
- महत्त्वपूर्ण खनिजों पर आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये भारत की पहल: