राजस्थान में बाघों का स्थानांतरण | 28 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
राजस्थान अपने पहले अंतरराज्यीय बाघ स्थानांतरण की योजना बना रहा है, जो भारत में एक भू-भाग से दूसरे भू-भाग में बाघ का दूसरा स्थानांतरण होगा।
- पहले अंतरराज्यीय स्थानांतरण में दो बाघ शामिल थे: कान्हा टाइगर रिज़र्व से एक नर और बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (दोनों मध्य प्रदेश) से एक मादा, जिन्हें वर्ष 2018 में सतकोसिया टाइगर रिज़र्व (ओडिशा) में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन यह प्रयास विफल रहा।
मुख्य बिंदु
स्थानांतरण के बारे में:
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से अंतिम मंज़ूरी मिलने के बाद पेंच टाइगर रिज़र्व (मध्य प्रदेश) से एक बाघिन को बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (RVTR) में हवाई मार्ग से लाया जाएगा।
- स्थानांतरण का उद्देश्य RVTR में आनुवंशिक विविधता को प्रोत्साहित करना तथा व्यवहार्य प्रजनन आबादी स्थापित करना है।
- बाघिन को GPS रेडियो कॉलर लगाया जाएगा, जिससे वास्तविक समय पर निगरानी, गतिविधि विश्लेषण और संभावित संघर्ष या तनाव का शीघ्र पता लगाया जा सकेगा।
- राजस्थान का वन विभाग वन्यजीव विज्ञान के विशेषज्ञों के साथ समन्वय कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह कार्य IUCN स्थानांतरण प्रोटोकॉल का पालन कर रहा है या नहीं, जिसमें मुक्ति से पहले आवास का आकलन और मुक्ति के बाद निगरानी शामिल है।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व:
- यह राजस्थान के बूंदी ज़िले में स्थित है, जिसका भूभाग कोटा और भीलवाड़ा क्षेत्रों तक विस्तृत है।
- यह प्राचीन अरावली पर्वतमाला में स्थित है, जिसमें मेज, रामगढ़ और खारी जैसी मौसमी नदियाँ बहती हैं, जो इसके अर्द्ध-शुष्क वन पारिस्थितिकी तंत्र को सहयोग प्रदान करती हैं।
- इसे वर्ष 2022 में रणथंभौर, सरिस्का और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व के बाद राजस्थान के चौथे टाइगर रिज़र्व के रूप में अधिसूचित किया गया था।
- इसका निर्माण रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य के साथ-साथ आसपास के वन खंडों और गलियारों से किया गया है, जो इसे रणथंभौर टाइगर रिज़र्व से जोड़ते हैं, जिससे यह एक महत्वपूर्ण बाघ प्रवासन मार्ग बन जाता है।
- इस आवास में शुष्क पर्णपाती वन, झाड़ियाँ, घास के मैदान और नदी क्षेत्र शामिल हैं, जो इसे बाघों के आवागमन तथा शिकार की खोज के लिये उपयुक्त क्षेत्र बनाते हैं।