प्रोजेक्ट साथी | 30 May 2025

चर्चा में क्यों?

धनबाद ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) ने प्रोजेक्ट साथी के अंतर्गत झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से 10 अनाथ बच्चों को बचाया

मुख्य बिंदु

  • बचाव अभियान के बारे में:
    • स्थान: बच्चों को धनबाद ज़िले के पूर्वी टुंडी प्रखंड से बचाया गया, जो नक्सल उग्रवाद के लिये जाना जाता है।
    • संचालक प्राधिकरण: यह अभियान धनबाद ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के नेतृत्व में चलाया गया।
    • यह पहल राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा शुरू किये गए प्रोजेक्ट साथी का हिस्सा है।
  • पुनर्वास एवं कल्याण उपाय:
    • छात्रवृत्ति सहायता:
      • प्रत्येक बचाए गए बच्चे को प्रत्येक माह 4,000 रुपए की सरकारी छात्रवृत्ति प्राप्त होगी, जब तक वे वयस्क नहीं हो जाते
      • यह वित्तीय सहायता, बच्चों की शिक्षा की निरंतरता और मूलभूत जीवन आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिये दी जाएगी।
  • सत्यापन और निगरानी:
    • मौके पर ही आधार और राशन कार्ड का पंजीकरण किया गया, ताकि बच्चों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा सके
    • पहचान सत्यापन, बाल कल्याण समिति (CWC) और अन्य सरकारी विभागों के साथ समन्वय कर निरंतर निगरानी और फॉलो-अप की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

आधार और ट्रैकिंग एवं समग्र समावेशन तक पहुँच के लिये सर्वेक्षण (SAATHI) 

  • इसे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • आधार पंजीकरण के माध्यम से बच्चों की कानूनी पहचान सुनिश्चित करना।
    • शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा और सामाजिक कल्याण तक पहुँच प्रदान करना।
    • दीर्घकालिक पुनर्वास और समावेशन को सक्षम बनाना।
  • निराश्रित बच्चे:
    • 18 वर्ष से कम आयु के वे बच्चे जिनके पास परिवार, संरक्षकता या स्थिर देखभाल नहीं है, जिनमें शामिल हैं:
      • सड़कों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे, अनाथ, तस्करी और बाल श्रम से बचाए गए बच्चे, अपंजीकृत आश्रयों में रहने वाले बच्चे तथा गुमशुदा बच्चे, जो अपने परिवारों से नहीं मिल पाए हैं।
  • अभियान के मुख्य घटक:
    • सर्वेक्षण एवं पहचान: स्थानीय कार्यकर्त्ताओं एवं गैर-सरकारी संगठनों के साथ समन्वय के माध्यम से निराश्रित बच्चों का मानचित्रण करना।
    • आधार पंजीकरण: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के सहयोग से बायोमेट्रिक नामांकन शिविरों का आयोजन।
    • कानूनी सहायता एवं योजना संपर्क: बच्चों को बाल संरक्षण कानूनों और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ना।
    • निगरानी एवं पुनर्वास: नामांकित बच्चों पर नज़र रखना, दस्तावेज़ीकरण सहायता प्रदान करना तथा शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं तक पहुँच का समन्वय करना।