प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) | 19 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिये नव-प्रवर्तित प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी सुनिश्चित करने हेतु केंद्र सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
मुख्य बिंदु
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) के बारे में
- परिचय:
- PMDDKY एक व्यापक कृषि कार्यक्रम है, जिसे उत्पादकता बढ़ाने, सतत् कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने और कृषकों की आजीविका सुधारने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है।
- इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई थी।
- यह योजना वर्ष 2025-26 से शुरू होकर छह वर्षों तक चलेगी, जिसका वार्षिक परिव्यय 24,000 करोड़ रुपए है।
- योजना का उद्देश्य बेहतर सिंचाई, भंडारण, तथा कृषि ऋण की पहुँच सुनिश्चित करना, सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना एवं देश के 100 कमज़ोर प्रदर्शन वाले ज़िलों में कृषि उत्पादकता सुधारना है।
- यह 11 केंद्रीय मंत्रालयों की 36 योजनाओं को मिलाकर एक एकीकृत कृषि सहायता प्रणाली तैयार करती है।
- यह नीति आयोग के आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम से प्रेरित है।
- ज़िला चयन के मानदंड
- निम्न कृषि उत्पादकता: प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादन की दर कम होना।
- कम फसल तीव्रता: प्रति वर्ष फसल चक्र की संख्या कम या फसल विविधता की कमी।
- सीमित ऋण वितरण: कृषि ऋण और वित्तीय संसाधनों की पहुँच का अभाव।।
- राज्य प्रतिनिधित्व: चयन में प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में शुद्ध फसल क्षेत्र और परिचालन जोत के हिस्से पर विचार किया जाएगा। संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक राज्य से कम-से-कम एक ज़िला चुना जाएगा।
- कार्यान्वयन और निगरानी व्यवस्था
- ज़िला कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ योजनाएँ:
- प्रत्येक ज़िले में ‘ज़िला धन धान्य समिति’ द्वारा एक समर्पित योजना तैयार की जाएगी, जिसमें प्रगतिशील किसान सदस्य होंगे। ये योजनाएँ फसल विविधीकरण, जल संरक्षण और कृषि आत्मनिर्भरता जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप होंगी।
- निगरानी और मूल्यांकन:
- मासिक समीक्षा के साथ एक समर्पित डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPI) का उपयोग करके प्रगति पर नज़र रखी जाएगी।
- सुचारू कार्यान्वयन के लिये प्रत्येक ज़िले में केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किये जाएंगे।
- नीति आयोग नियमित मार्गदर्शन प्रदान करेगा और ज़िला योजनाओं की समीक्षा करेगा।
- विभिन्न स्तरों पर समितियाँ:
- योजना की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने हेतु ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियाँ योजना, कार्यान्वयन तथा प्रगति की निगरानी करेंगी।
- ज़िला कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ योजनाएँ:
- अपेक्षित परिणाम:
- किसान लाभार्थी: भारत में लगभग 1.7 करोड़ किसानों को सीधे लाभ मिलने की उम्मीद है।
- संबद्ध क्षेत्रों का एकीकरण: यह योजना मूल्य संवर्द्धन और स्थानीय आजीविका सृजन के लिये पशुधन, डेयरी एवं मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों को एकीकृत करती है।
- फोकस क्षेत्र: फसलोपरांत भंडारण, बेहतर सिंचाई, आसान ऋण पहुँच तथा प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया जाएगा, जिससे ग्रामीण आर्थिक मज़बूती सुनिश्चित की जा सके।
- राज्य सरकार की तैयारी के बारे में
- उत्तर प्रदेश सरकार ने इस योजना के लाभ का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा सुनिश्चित करने के लिये योजना बनाना प्रारंभ कर दिया है।
- राज्य के कृषि विभाग ने क्षेत्रीय विवरण की समीक्षा की है तथा योजना के सफल कार्यान्वयन हेतु केंद्र सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
- उत्तर प्रदेश एक प्रमुख कृषि प्रधान राज्य है, अतः उसे इस योजना के आवंटन में महत्त्वपूर्ण भागीदारी मिलने की उम्मीद है।
अन्य पूरक योजनाएँ
- यूपी-एग्रीस योजना:
- PMDDKY, विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त यूपी-एग्रीस योजना का पूरक है, जिसका उद्देश्य पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्रों के 28 ज़िलों में कृषि उत्पादन में सुधार करना है।
- इसका मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाना, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित करना तथा किसानों की आय में वृद्धि करना है।
- इस परियोजना से 10,000 महिला उत्पादक समूहों को जोड़ा जाएगा तथा 500 किसानों को उन्नत प्रशिक्षण के लिये विदेश भेजा जाएगा।
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम:
- ज़िलों को उनकी छिपी हुई क्षमता को उजागर करने के लिये सशक्त बनाकर "पिछड़ेपन" से "आकांक्षा" की ओर बदलाव।
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम भी राज्य में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिये कार्य कर रहा है।
- यह भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में 112 सबसे कमज़ोर ज़िलों के उत्थान के लिये शुरू किया गया।
- मूल दर्शन:
- फोकस क्षेत्र: स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, बुनियादी ढाँचा और आर्थिक अवसर।