मध्य प्रदेश के 5 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार | 28 Jan 2022

चर्चा में क्यों?

25 जनवरी, 2022 को 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या  पर राष्ट्रपति ने वर्ष 2022 के लिये 128 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। मध्य प्रदेश के 5 व्यक्ति इन पुरस्कारों की सूची में शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • पद्म पुरस्कार देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों में प्रदान किया जाता है। इन तीन श्रेणियों में पद्म विभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री शामिल हैं। असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्मविभूषण’, उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्मभूषण’और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्मश्री’पुरस्कार प्रदान किया जाता है। 
  • ये पुरस्कार विभिन्न विषयों/क्षेत्रों अर्थात कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान व इंजीनियरिंग, व्यापार एवं उद्योग, चिकित्सा, साहित्य व शिक्षा, खेल, सिविल सेवा, इत्यादि में प्रदान किये जाते हैं। 
  • इन पुरस्कारों की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा हर वर्ष ‘गणतंत्र दिवस’के अवसर पर की जाती है तथा आमतौर पर मार्च/अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किये जाने वाले औपचारिक समारोहों में प्रदान किये जाते हैं। 
  • इस वर्ष राष्ट्रपति ने 128 पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंज़री दी है, जिनमें 2 जोड़ी पुरस्कार (किसी जोड़ी को दिये पुरस्कार की गणना एक पुरस्कार के रूप में की जाती है) भी शामिल हैं। इस सूची में 4 पद्मविभूषण, 17 पद्मभूषण और 107 पद्मश्री पुरस्कार शामिल हैं। 
  • पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वालों में 34 महिलाएँ हैं और इस सूची में 10 व्यक्ति विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई श्रेणी के अंतर्गत हैं तथा 13 व्यक्तियों को मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया है।
  • वर्ष 2022 के लिये घोषित पद्म पुरस्कारों की सूची में मध्य प्रदेश के निम्नलिखित व्यक्ति शामिल हैं-
    • भोपाल के स्व. डॉ. नरेंद्र प्रसाद मिश्रा (मरणोपरांत) को चिकित्सा के क्षेत्र में ‘पद्मश्री’पुरस्कार के लिये चुना गया है।
    • इसी प्रकार अर्जुन सिंह धुर्वे को कला, अवधकिशोर जड़िया को साहित्य एवं शिक्षा तथा रामसहाय पांडे और सुश्री दुर्गाबाई व्याम को कला के क्षेत्र में ‘पद्मश्री’पुरस्कार के लिये चुना गया है।
    • अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिजीशियन स्व. डॉ. नरेंद्र प्रसाद मिश्रा ने भोपाल गैस त्रासदी के बाद हज़ारों पीड़ितों हेतु असाधारण चिकित्सा व्यवस्था के लिये कार्य किया था।  
    • डिंडौरी के अर्जुन सिंह धुर्वे ने बैगा नृत्य एवं संस्कृति को प्रवाहमान रखते हुए लोककला को शिखर पर पहुँचाया, वहीं मंडला की सुश्री दुर्गाबाई व्याम ने गोंड लोककथा की चित्रकारी को न केवल प्रवाहमान रखा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसको पहचान दिलाई।
    • सागर ज़िले के प्रतिभावान कलाकार रामसहाय पांडेय ने बुंदेलखंड के गीत-संगीत संस्कृति की पहचान ‘राई नृत्य’को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई है।