ऑपरेशन शिकंजा | 14 Oct 2025

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने 9 से 13 अक्तूबर, 2025 तक ‘ऑपरेशन शिकंजा’ चलाया, जिसके तहत राज्यभर में 23 फरार आर्थिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।

मुख्य बिंदु

  • उद्देश्य:
    • उत्तर प्रदेश में बड़े वित्तीय घोटालों में लिप्त लंबे समय से फरार अपराधियों को पकड़ना।
    • गबन की गई सार्वजनिक धनराशि की जवाबदेही सुनिश्चित करना और उसकी वसूली करना।
    • समन्वित पुलिसिंग के माध्यम से श्वेतपोश (White-Collar) अपराधों के विरुद्ध कानून के शासन को सुदृढ़ करना।
  • समन्वय: महानिदेशक नीरा रावत के निर्देशों के तहत, आठ विशेषीकृत टीमों ने डिजिटल इंटेलिजेंस के सहयोग से एक साथ कई ज़िलों में छापेमारी अभियान चलाया, जो रियल-टाइम की निगरानी के माध्यम से समन्वित किये गए थे ताकि भागने से रोका जा सके।
  • प्रभाव: चार दिनों के भीतर, 23 भगोड़े गिरफ्तार किये गए, लंबित वारंटों को लागू किया गया और धोखाधड़ी से प्राप्त सार्वजनिक धन की वसूली शुरू की गई।
    • आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने घोषणा की है कि ‘ऑपरेशन शिकंजा’ के तहत कार्रवाई तब तक जारी रहेगी, जब तक सभी आर्थिक अपराधी गिरफ्तार नहीं हो जाते।
  • महत्त्व: यह अभियान उत्तर प्रदेश में वित्तीय अपराधों पर डिजिटल निगरानी और अंतर-ज़िला सहयोग के माध्यम से एक समन्वित राज्यव्यापी कार्रवाई का प्रतिनिधित्व करता है, जो आर्थिक न्याय की प्राप्ति में EOW के प्रयासों में जनता के विश्वास को सुदृढ़ करता है।

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (Economic Offences Wing- EOW)

  • परिचय:
    • इसकी स्थापना वर्ष 1970 में अपराध अन्वेषण विभाग (CID) के अंतर्गत आर्थिक अपराधों से निपटने के लिये की गई थी।
    • वर्ष 1972 में, सरकार ने EOW को 10 विभागों से संबंधित अपराधों की जाँच का दायित्व सौंपा- वन, परिवहन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, स्थानीय निकाय, उद्योग, आबकारी/एक्साइज़, कृषि, पंचायती राज, अल्प सिंचाई और बिक्री कर विभाग।
    • 1977 में, EOW को पुनर्गठित कर उत्तर प्रदेश पुलिस की एक अलग विशेष अन्वेषण शाखा बनाया गया।
    • वर्ष 2006 में, EOW के कार्यक्षेत्र को विस्तारित कर सभी सरकारी विभागों से जुड़े आर्थिक अपराधों को शामिल किया गया।
    • वर्ष 2018 में, सरकार ने इसके परिचालन क्षेत्र को सशक्त करने हेतु लखनऊ, वाराणसी, मेरठ और कानपुर में चार EOW थाने स्थापित किये।
  • प्रकार्य: यह विभिन्न सरकारी संस्थाओं से जुड़े धोखाधड़ी, ठगी और सरकारी धन के दुरुपयोग के मामलों की जाँच करती है; अपराध की गंभीरता के आधार पर इसे निजी व्यक्तियों या संगठनों से संबंधित मामलों की जाँच का दायित्व भी सौंपा जा सकता है तथा यह सरकारी राजस्व हानि से संबंधित खुफिया जानकारी एकत्र कर उचित सरकारी कार्रवाई के लिये प्रस्तुत करती है।