प्रदेश में खनन की ‘वन स्टेट वन रॉयल्टी’ नीति होगी लागू | 07 Nov 2022

चर्चा में क्यों?

6 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुंधाशु ने बताया कि प्रदेश की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक, खनन की रॉयल्टी दरों में एकरूपता लाने के लिये प्रदेश में ‘वन स्टेट, वन रॉयल्टी’नीति लागू की जाएगी। वन विकास निगम ने इसका प्रस्ताव तैयार कर सौंप दिया है। इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है।

प्रमुख बिंदु 

  • खनन की रॉयल्टी की दरें एक समान लागू होने से जहाँ अवैध खनन के मामलों में कमी आएगी, वहीं निर्माण सामग्री सस्ती होने से लोगों को घर इत्यादि बनाने में राहत मिलेगी।
  • प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में आरक्षित वन क्षेत्रों में उपखनिज का चुगान (खनन) वन विभाग की ओर से वन विकास निगम को सौंपा गया है तथा इसके अलावा राजस्व क्षेत्र की नदियों में खनन विभाग की देखरेख में खनन होता है। वहीं, शासन-प्रशासन की अनुमति के बाद निजी पट्टों पर भी खनन किया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि प्रदेश में तीनों तरह के खनन में रॉयल्टी की दरें भिन्न-भिन्न हैं। वन विकास निगम की ओर से आरक्षित वन क्षेत्रों की विभिन्न नदियों में आरबीएम की दरें 20 से 25 रुपए प्रति क्विंटल तय हैं। जबकि राजस्व और निजी खनन पट्टों में यह दरें 15 से 18 रुपए तय हैं।
  • ज्ञातव्य है कि प्रदेश में निकलने वाले 65 से 70 प्रतिशत उप खनिज का चुगान आरक्षित वन क्षेत्रों से निकलने वाली नदियों से किया जाता है तथा आरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित नदियों में खनन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार किया जाता है।
  • गाइडलाइन के अनुसार, रॉयल्टी की दरों के साथ सीमांकन एवं सुरक्षा क्षतिपूर्ति पौधरोपण, स्टांप शुल्क, वन्य जीव शमन, श्रमिक कल्याण कोष, धर्मकांटा, कंप्यूटरीकृत तौलाई, सीसीटीवी कैमरा, परिचालन व्यय जैसी तमाम औपचारिकताएँ पूरी करनी पड़ती हैं,जिससे वन विकास निगम की रॉयल्टी दरें राजस्व और निजी खनन पट्टों से अधिक हैं तथा अब इन व्ययों के खर्च को कम करने पर मंथन किया जा रहा है, ताकि खनन रॉयल्टी में एकरूपता लाई जा सके।
  • वन विकास निगम की ओर से दिये गए सुझाव-
    • पूरे राज्य में सभी स्थलों से निकलने वाले खनिजों की मूल रॉयल्टी को प्रति क्विंटल सात रुपए तक किया जा सकता है।
    • ज़िला खनिज न्यास में अंशदान रॉयल्टी को 15 प्रतिशत किया जा सकता है।
    • क्षतिपूरक पौधरोपण में अंशदान रॉयल्टी को 10 प्रतिशत किया जा सकता है।
    • सीमांकन एवं सुरक्षा में वन विभाग का अंशदान 25 रुपए प्रति क्विंटल किया जा सकता है।
    • वन विकास निगम परिचालन व्यय में 25 रुपए प्रति क्विंटल कम करने पर सहमत है।
    • वन विभाग की ओर से रोड फीस 25 प्रतिशत कम करने पर विचार किया जा सकता है।
  • प्रमुख सचिव आरके सुंधाशु ने बताया कि उप खनिजों की विक्रय दरें राजस्व की मदें, वन विभाग की मदें, वन विकास निगम की मदें, जीएसटी और आयकर को जोड़कर निर्धारित की जाती हैं। वन अधिनियम की शर्तों को पूरा करने के साथ इस तरह से वन विकास निगम की दरें बढ़ जाती हैं। इन दरों को कैसे कम कर सकते हैं, इसके तमाम पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। शीघ्र ही इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।
  • खनन सचिव पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि खनन की रॉयल्टी में एकरूपता लाने के लिये शासन स्तर पर वन विभाग के साथ लगातार बैठकें की जा रही हैं, जिनमें वन विभाग से वन विकास निगम की दरों में संशोधन पर चर्चा की जा रही है। रॉयल्टी में एकरूपता आने से आम लोगों को इसका लाभ मिलेगा और राजस्व में भी वृद्धि होने का अनुमान  है।