छत्तीसगढ़ की नवीन मछली पालन नीति कैबिनेट में मंज़ूर | 25 Nov 2022

चर्चा में क्यों?

24 नवंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य की नवीन मछली पालन नीति में मछुआरा के हितों को ध्यान में रखते हुए संशोधन को मंज़ूरी दी गई। 

प्रमुख बिंदु 

  • मछुआ समुदाय के लोगों की मांग और उनके हितों को संरक्षित करने के उद्देश्य से नवीन मछली पालन नीति में तालाब और जलाशयों को मछली पालन के लिये नीलामी करने के बजाय लीज पर देने के साथ ही वंशानुगत-परंपरागत मछुआ समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है।
  • तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों के जलक्षेत्र आवंटन सीमा में 50 फीसद की कमी कर ज़्यादा से ज़्यादा मछुआरों को रोजी-रोज़गार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है।
  • प्रति सदस्य के मान से आवंटित जलक्षेत्र सीमा शर्त घटाने से लाभान्वित मत्स्य पालकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।
  • संशोधित नवीन मछली पालन नीति के अनुसार मछली पालन के लिये तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों की अब नीलामी नहीं की जाएगी, बल्कि 10 साल के पट्टे पर दिये जाएंगे।
  • तालाब और जलाशय के आबंटन में सामान्य क्षेत्र में ढीमर, निषाद, केंवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को तथा अनुसूचित जनजाति अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • मछुआ से तात्पर्य उस व्यत्ति से है, जो अपनी आजीविका का अर्जन मछली पालन, मछली पकड़ने या मछली बीज उत्पादन का कार्य करता हो, के तहत वंशानुगत-परंपरागत धीवर (ढीमर), निषाद (केंवट), कहार, कहरा, मल्लाह को प्राथमिकता दिया जाना प्रस्तावित है।
  • इसी तरह मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति अथवा मछुआ व्यत्ति को ग्रामीण तालाब के मामले में अधिकतम एक हेक्टेयर के स्थान पर आधा हेक्टेयर जलक्षेत्र तथा सिंचाई जलाशय के मामले में चार हेक्टेयर के स्थान पर दो हेक्टेयर जलक्षेत्र प्रति सदस्य/प्रति व्यक्ति के मान से आवंटित किया जाएगा।
  • मछली पालन के लिये गठित समितियों का ऑडिट अभी तक सिर्फ सहकारिता विभाग द्वारा किया जाता था। अब संशोधित नवीन मछली पालन नीति में सहकारिता एवं मछली पालन विभाग की संयुत्त टीम ऑडिट की ज़िम्मेदारी दी गई है।
  • त्रि-स्तरीय पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत शून्य से 10 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के तालाब एवं सिंचाई जलाशय को 10 वर्ष के लिये पट्टे पर आवंटित करने का अधिकार ग्राम पंचायत का होगा।
  • जनपद पंचायत 10 हेक्टेयर से अधिक एवं 100 हेक्टेयर तक, ज़िला पंचायत 100 हेक्टेयर से अधिक एवं 200 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र तक, मछली पालन विभाग द्वारा 200 हेक्टेयर से अधिक एवं 1000 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के जलाशय, बैराज को मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को पट्टे पर देगा।
  • नगरीय निकाय के अंतर्गत आने वाले समस्त जलक्षेत्र नगरीय निकाय के अधीन होंगे, जिसे शासन की नीति के अनुसार 10 वर्ष के लिये लीज पर आवंटित किया जाएगा।