राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव | 22 Apr 2022

चर्चा में क्यों?

19-21 अप्रैल, 2022 तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव, राज्यस्तरीय जनजातीय नृत्य महोत्सव एवं राज्यस्तरीय जनजाति कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता के तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • इसका आयोजन भारत सरकार, जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से किया गया।  
  • इस आयोजन के दौरान विविध कार्यक्रमों के साथ-साथ देश के प्रख्यात साहित्यकारों ने जनजातीय साहित्य और संस्कृति पर गहन विचार-विमर्श किया। 
  • साहित्य महोत्सव के अंतर्गत साहित्य परिचर्चा एवं शोध-पत्र वाचन किया गया। साहित्य परिचर्चा कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 08 सत्र आयोजित किये गए, जिसमें देश के प्रख्यात साहित्यकारों ने भाग लिया।  
  • इसके अंतर्गत भारत जनजातीय भाषा एवं साहित्य का विकास- वर्तमान एवं भविष्य, भारत में जनजातीय विकास- मुद्दे, चुनौतियाँ एवं भविष्य, भारत में जनजातियों में वाचिक परंपरा के तत्त्व एवं विशेषताएँ तथा संरक्षण हेतु उपाय, भारत में जनजातीय धर्म एवं दर्शन, जनजातीय लोक कथाओं का पठन एवं अनुवाद तथा विभिन्न बोली-भाषाओं में जनजातीय लोक काव्य पठन एवं अनुवाद आदि विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।  
  • इसी प्रकार शोध-पत्र वाचन में जनजातीय साहित्य: भाषा विज्ञान एवं अनुवाद, जनजातीय साहित्य में जनजातीय अस्मिता, जनजातीय साहित्य में जनजातीय जीवन का चित्रण, जनजातीय समाजों में वाचिक परंपरा की प्रासंगिकता, जनजातीय साहित्य में अनेकता एवं चुनौतियाँ, जनजातीय साहित्य में लिंग संबंधी मुद्दे, जनजातीय कला साहित्य, जनजातीय साहित्य में सामाजिक-सांस्कृतिक संघर्ष, जनजातीय साहित्य में मुद्दे, चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ तथा जनजातीय विकास मुद्दे एवं चुनौतियाँ विषय पर शोध-पत्र का वाचन किया गया।  
  • साहित्यिक शोध-पत्र पठन एवं जनजातीय साहित्य पर परिचर्चा के अलावा इस अवसर पर कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इसके अंतर्गत 18 से 30 आयु वर्ग एवं 30 से ऊपर प्रतिभागियों के लिये कैनवास पेंटिंग की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।  
  • वहीं दूसरी ओर 12 से 18 आयु वर्ग के लिये ड्राइंग सीट पर पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।  
  • इसके अलावा हस्तकला प्रदर्शन के अंतर्गत बाँस कला, छिंदकला, गोदना कला, रजवार कला, शीसल कला, माटी कला एवं काष्ठ कला के प्रतिभागियों द्वारा अपनी प्रतिभा का जीवंत प्रदर्शन भी किया गया।