मध्य प्रदेश से बाघों का पड़ोसी राज्यों में पुनर्वास | 18 Oct 2025

चर्चा में क्यों?

भारत का ‘बाघ राज्य’ मध्य प्रदेश, जिसमें देश की सबसे बड़ी बाघ जनसंख्या है, अंतर-राज्यीय संरक्षण योजना के तहत एक बाघ और नौ बाघिनों को ओडिशा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुनर्वास करेगा। यह कदम ओडिशा में पहले असफल प्रयास के बाद उठाया गया है।

मुख्य बिंदु

  • परिचय: बाघों का पुनर्वास एक अंतर-राज्यीय वन्यजीव सहयोग पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कम जनसंख्या वाले अभ्यारणों में बाघों की संख्या बढ़ाना और भारत के समग्र संरक्षण नेटवर्क को प्रबल करना है।
    • मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव संरक्षक ने तीनों राज्यों के समकक्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर बाघ पुनर्वास के लिये आवश्यक तैयारियाँ करने का निर्देश दिया है।
  • प्रारंभिक उपाय: राज्यों से निम्नलिखित विवरण प्रस्तुत करने के लिये कहा गया है:
    • बाड़ों और शिकार प्रजातियों की उपलब्धता
    • ट्रैकिंग के लिये रेडियो कॉलर की स्थापना
    • जल संसाधनों की स्थिति
    • रिहाई स्थलों के आसपास मानव हस्तक्षेप की स्थिति
  • अनुमोदन: यह पहल मुख्यमंत्री मोहन यादव की स्वीकृति के बाद राज्य वन्यजीव बोर्ड की 30वीं बैठक में मंज़ूरी प्राप्त हुई।
  • स्रोत अभ्यारण: पुनर्वास के लिये बाघों को कान्हा, बांधवगढ़ एवं पेंच टाइगर रिज़र्व से स्थानांतरित किया जाएगा, जिनकी बाघ जनसंख्या स्थिर और बढ़ती हुई है।
  • कार्यान्वयन: पुनर्वास तब शुरू होगा जब स्वास्थ्य जाँच पूरी हो, संगरोध प्रोटोकॉल पारित हों और तीनों प्राप्तकर्त्ता राज्यों में अंतिम लॉजिस्टिक व्यवस्थाएँ पूरी हो जाएँ।
  • महत्त्व: यह पहल महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह घने आवासों में जनसंख्या दबाव कम करने, आनुवंशिक विविधता बढ़ाने (Gene Flow) तथा कम जनसंख्या वाले अभ्यारणों में पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने में सहायता करती है।