भोपाल में स्थापित होगा महाराणा प्रताप लोक | 24 May 2023

चर्चा में क्यों?

22 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर भोपाल लाल परेड मैदान में आयोजित समारोह में भोपाल में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप लोक का निर्माण किये जाने की घोषणा की। 

प्रमुख बिंदु  

  • स्मारक में महाराणा प्रताप के जीवन और कार्यों को चित्रित किया जाएगा। साथ ही उनके सात सहयोगियों भामाशाह, पुंजाभील, चेतक और अन्य के योगदान को भी चित्रित कर दर्शाया जाएगा।  
  • महाराणा प्रताप द्वारा अपनी संस्कृति और स्वतंत्रता की रक्षा के लिये संघर्ष तथा जीवन मूल्यों पर अडिग रहने की उनकी क्षमता से आने वाली पीढ़ी अवगत हो सके और तदनुसार संस्कार ग्रहण कर सकें, इस उद्देश्य से महाराणा प्रताप लोक का निर्माण किया जाएगा।  
  • समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शालेय पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप के शौर्य और वीरता की कहानियाँ पढ़ाई जाएंगी। साथ ही महाराणा प्रताप कल्याण बोर्ड का गठन भी किया जाएगा।  
  • गौरतलब है कि महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया का जन्म विक्रम संवत 1597 तदनुसार 9 मई, 1540 राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता रानी जयवंतारबाई के घर हुआ। वे महावीर राणा सांगा के पौत्र थे। वे इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ़ प्रण के लिये अमर हैं।  
  • उन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया, अंतत: अकबर महाराणा प्रताप को अधीन करने में असफल रहा। महाराणा प्रताप की नीतियाँ शिवाजी महाराज से लेकर स्वतंत्रता सेनानियों तक के लिये प्रेरणा-स्त्रोत बनीं।  
  • महाराणा जिस घोड़े पर बैठते थे वह घोड़ा ‘चेतक’दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ों में से एक था। महाराणा 72 किलो का कवच पहनकर 81 किलो का भाला अपने हाथ में रखते थे। भाला और कवच सहित ढाल-तलवार का वजन मिलाकर कुल 208 किलो का वजन उठाकर वे युद्ध लड़ते थे। 
  • 30 मई, 1576 को हल्दी घाटी के मैदान में विशाल मुगलिया सेना और रणबाँकुरी मेवाड़ी सेना के मध्य भयंकर युद्ध छिड़ गया। युद्ध में महाराणा ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये, परंतु अकबर की विशाल सेना के आगे राजपूत सेना नहीं टिक पाई और राणा प्रताप को जंगल में शरण लेनी पड़ी, पर उन्होंने अकबर की दासता स्वीकार नहीं की।  
  • चित्तौड़ को छोड़कर महाराणा ने अपने समस्त दुर्गों को शत्रु से पुन: छीन लिया। महाराणा ने चित्तौड़गढ़ व मांडलगढ़ के अलावा संपूर्ण मेवाड़ पर अपना राज्य पुन: स्थापित कर लिया। उदयपुर को उन्होंने अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद मुगलों ने कई बार महाराणा को चुनौती दी लेकिन मुगलों को मुँह की खानी पड़ी। आखिरकार, युद्ध और शिकार के दौरान लगी चोटों की वजह से महाराणा प्रताप की मृत्यु 29 जनवरी, 1597 को चांवड में हुई।