मध्य प्रदेश राज्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी का हुआ गठन | 28 Jan 2022

चर्चा में क्यों? 

27 जनवरी, 2022 को राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में 18 जनवरी को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में लिये गए निर्णय के पालन में लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के अंतर्गत मध्य प्रदेश राज्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी एस.पी.वी. का गठन किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • मध्य प्रदेश राज्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी तथा प्रस्तावित एस.पी.वी. की अधिकृत शेयर पूंजी `1000 करोड़ एवं प्रदत्त पूंजी `10 करोड़ रखा जाना प्रस्तावित है। एस.पी.वी. के गठन के उपरांत शेयर पूंजी का 100% अंशदान मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
  • मध्य प्रदेश राज्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी का प्रशासकीय विभाग मध्य प्रदेश लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग होगा। कंपनी के संचालक मंडल का भी गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री और उपाध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। 
  • मंडल के सदस्यों में वित्त, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन, लोक निर्माण, राजस्व, वाणिज्यिक कर और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव होंगे। प्रबंध संचालक मध्य प्रदेश राज्य परिसंपत्ति प्रंबधन कंपनी को सदस्य सचिव बनाया गया है। 
  • राज्य शासन ने संचालक मंडल के दायित्व भी निर्धारित किये हैं। इसके साथ ही कंपनी के लिये कार्यपालिक समिति का गठन कर उसके भी दायित्व निर्धारित किये गए हैं। राज्य शासन ने कंपनी के लिये वित्तपोषण की व्यवस्था, पदीय संरचना के साथ वार्षिक व्यय भी तय किया है।
  • मध्य प्रदेश राज्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी एस.पी.वी.के निम्नलिखित दायित्व निर्धारित किये गए हैं-
    • लोक परिसंपत्तियों के युक्तियुक्त प्रबंधन के संबंध में नीति एवं दिशा-निर्देशों को तैयार करना।
    • अंतर्विभागीय विमर्श एवं समन्वय के माध्यम से राज्य एवं सार्वजनिक उपक्रम की परिसंपत्तियों का युक्तियुक्तकरण कर समुचित उपयोग सुनिश्चित करना।
    • शासन एवं सार्वजनिक उपक्रम की संपत्तियों के मौद्रीकरण तथा प्रबंधन के लिये विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकन करना।
    • अनुपयोगी परिसंपत्तियों के लिये प्रबंधन एवं मौद्रीकरण हेतु आवश्यक कौशल एवं योग्यतायुक्त मानव संसाधन तैयार करना।
    • सूचना प्रौद्योगिकी एवं भौगोलिक सूचना तंत्र के माध्यम से राज्य की नर्वर्तन योग्य परिसंपत्तियों की पंजी तैयार करना।
    • परिसंपत्तियों के मूल्य को बढ़ाने के लिये आवश्यक विकास कार्य, जिससे परिसंपत्ति का बेहतर प्रबंधन हो सके।
    • शासकीय विभागों एवं उपक्रमों को सेवा शुल्क के आधार पर परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण तथा प्रबंधन के लिये सलाहकारी सेवा प्रदाय करना।
    • आवश्यकतानुसार विभिन्न वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त कर इसे लोकहित के विभिन्न कार्यों में उपयोग करना।