‘जायका’ का शुभारंभ | 16 Oct 2021

चर्चा में क्यों?

15 अक्तूबर, 2021 को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल द्वारा संग्रहालय भ्रमण पर आने वाले दर्शकों की मांग पर भील जनजाति के पारंपरिक भोजन कार्यक्रम ‘जायका’ की शुरुआत की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने बताया कि पिछले दो दशकों में विश्व के तमाम बड़े वैज्ञानिकों ने अपने शोध से ये साबित किया है कि जनजातियों के प्राकृतिक आहार को अपनाने से पोषक तत्त्वों की कमी से होने वाले अनेक रोगों से निजात मिल सकती है। 
  • संग्रहालय की कैंटीन में प्रत्येक शनिवार एवं रविवार को दोपहर 1 बजे से 4 बजे के मध्य प्रदेश की भील जनजाति का पारंपरिक भोजन मक्के की रोटी, बैगन का भर्ता, धनिया-लहसुन की चटनी, गुड़ आदि उपलब्ध रहते हैं।
  • उल्लेखनीय है कि मक्के की रोटी का सेवन करने से शरीर को फाइबर प्राप्त होता है, जो पाचन संबंधी समस्याओं से राहत पाने में मदद करता है। यह शरीर में कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। साथ ही फाइबर युक्त आहार से लंबे समय तक भूख नहीं लगती।