उत्तराखंड की 3 लाख महिलाएँ बनेंगी ‘लखपति दीदी’ | 02 Jul 2022

चर्चा में क्यों?

1 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड के अपर सचिव (ग्राम्य विकास) आनंद स्वरूप ने बताया कि केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत प्रदेश की 3 लाख महिलाओं को लखपति बनाने की योजना पर काम शुरू हो गया है।

प्रमुख बिंदु

  • आनंद स्वरूप ने बताया कि ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत ऐप के माध्यम से ब्लाक और जिला स्तर पर को-ऑर्डिनेटरों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू कर दिया गया है। सर्वे का काम होने के बाद एसजीएच के अलग-अलग ग्रुप को अलग-अलग काम सौंपे जाएंगे, ताकि उनकी आय प्रतिवर्ष एक लाख रुपए तक की जा सके।
  • स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी महिलाओं के लिये ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत उन्हें कौशल विकास के साथ सूक्ष्म उद्यमों के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में 20 हजार नए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाएगा, ताकि अधिक-से-अधिक महिलाओं को योजना का लाभ मिल सके।
  • वर्तमान में प्रदेश के 95 ब्लॉकों में 39,116 स्वयं सहायता समूहों में 3 लाख 5 हजार महिलाओं को संगठित कर 4 हजार 310 ग्राम संगठन और 259 क्लस्टर स्तरीय संगठनों का गठन किया गया है।
  • इन संगठनों से जुड़ीं महिलाओं की आय दोगुनी करने के लिये कौशल विकास के साथ टिकाऊ, सूक्ष्म उद्यमों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिये नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट और उत्तराखंड इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के माध्यम से महिलाओं को तमाम नए कामों में प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जाएगा।
  • अभी तक एसएचजी से जुड़ीं महिलाएँ आमतौर पर आचार, पापड़, हैंडीक्राफ्ट, सब्जी, रेशम, फल जैसे कामों तक ही सीमित हैं। आने वाले दिनों में इन महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, टेंट हाउस, राजमिस्त्री, खाद बनाने, आर्गेनिक खेती, एलईडी बल्ब बनाने जैसे कामों में दक्ष बनाया जाएगा।
  • एसएचजी की ओर से तैयार उत्पादों के विपणन के लिये एनआरएलएम कार्यक्रम के माध्यम से इन्हें एक छत के नीचे लाया जाएगा, ताकि अलग-अलग समूहों को काम बाँटकर इनकी एक चेन बनाई जा सके। इसके तहत समूहों को बैंक लोन लेने में भी आसानी होगी।
  • राज्य के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बाजार मिले, इसके लिये भी योजना के तहत प्रयास किये जाएंगे। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाओं के उत्पादों को उचित बाजार दिलवाने के लिये अमेजन, फ्लिपकार्ट, मंतरा, पे-टीएम मॉल जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटों और गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जेम) से भी अनुबंध किया जा रहा है।
  • आजीविका मिशन के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रदीप पांडेय ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में राज्य स्तरीय दो उत्तरा आउटलेट स्थापित किये जा चुके हैं। इनमें एक रानीपोखरी और एक रायपुर में स्थापित है। आने वाले दिनों में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
  • इसके अलावा 13 जिला स्तरीय आउटलेट (सरस सेंटर), ब्लाक स्तर पर 9 क्लस्टर आउटलेट, 33 नैनो पैकेजिंग यूनिट और 24 ग्रोथ सेंटरों की स्थापना की गई है। जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर भी एक आउटलेट बनाया गया है। इसके अलावा चारधाम यात्रा रूटों पर 17 अस्थाई आउटलेट बनाए गए हैं। जहाँ एसएचजी की ओर से तैयार उत्पादों को बेचा जाता है।