नई दिल्ली में कालबेलिया शिल्प पुनरुद्धार प्रोजेक्ट प्रदर्शनी की शुरुआत | 20 Jul 2022

चर्चा में क्यों?

19 जुलाई, 2022 को राजस्थान के कालबेलिया समुदाय के उत्थान के प्रयास की दिशा में नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में कालबेलिया शिल्प पुनरुद्धार प्रोजेक्ट प्रदर्शनी की शुरुआत की गई।

प्रमुख बिंदु

  • कालबेलिया क्राफ्ट रिवाइवल प्रोजेक्ट प्रदर्शनी कालबेलिया समुदाय की महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले हस्तशिल्प उत्पादों, विशेषकर कालबेलिया रजाईयाँ और गुदड़ियों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने का महत्त्वपूर्ण माध्यम साबित होगी।
  • उल्लेखनीय है कि राजस्थान का कालबेलिया समुदाय अपनी कला के लिये पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन उनके रोज़गार के संसाधन सीमित होने और आर्थिक तंगी के कारण उनकी कला एवं शिल्प को बाज़ार तक पहुँचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
  • प्रदर्शनी के क्यूरेटर डॉ. मदन मीना ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना कोविडकाल से विकसित हुई थी, जब राजस्थान के कालबेलिया के कई परिवार तालाबंदी के कारण अपने पैतृक गाँव लौट आए थे। कालबेलिया कलाकारों का काम भी पर्यटन की सुस्ती के कारण ठप हो गया। ऐसे में उन्हें उनके गाँव के भीतर वैकल्पिक आजीविका का अवसर प्रदान करने के लिये कोटा हैरिटेज सोसाइटी द्वारा कालबेलिया क्राफ्ट रिवाइवल प्रोजेक्ट की परिकल्पना की गई थी।
  • इसे शुरू में निफ्ट-जोधपुर केंद्र और भारतीय शिल्प एवं डिजाइन संस्थान, जयपुर द्वारा अपने छात्रों को इंटर्नशिप प्रदान करने के लिये स्पॉन्सर किया गया था। वर्तमान में बूंदी और जयपुर की कालबेलिया महिलाएँ इस परियोजना में काम कर रही हैं।
  • इस परियोजना का उद्देश्य कालबेलिया समुदाय की रजाई बनाने की परंपरा को संरक्षित करना और उन्हें अपने समुदाय एवं उनके शिल्प के निर्वाह के लिये उनके गाँवों के भीतर बेहतर आजीविका के अवसर प्रदान करना है।
  • डॉ. मदन मीना ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से जुड़ी कालबेलिया महिलाओं को विभिन्न कलात्मक उत्पाद बनाने के लिये प्रतिदिन 300 रुपए प्रति महिला दिया जाता है। इस धनराशि को विभिन्न स्रोतों से जुटाया जाता है तथा स्पॉन्सरशिप से भी धनराशि प्राप्त होती है, जिसका उपयोग इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिये किया जा रहा है।
  • इस परियोजना में भाग लेने वाली कालबेलिया महिलाओं में जयपुर से मेवा सपेरा, बूंदी से मीरा बाई, लाड बाई, रेखा बाई, नट्टी बाई और बनिया बाई प्रमुख रूप से शामिल हैं।
  • कार्यक्रम में जयपुर से आई अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिनाम कालबेलिया गायक और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकीं मेवा सपेरा ने बताया कि कालबेलिया रजाई और उनकी गुणवत्ता घर की महिलाओं की समृद्धि, कौशल और प्रतिभा को दर्शाती है। एक परिवार रजाई के ढेर रखता है, जो मेहमानों की यात्रा के दौरान बाहर निकाला जाता है। ये रजाईयाँ बेटियों को उपहार देने का हिस्सा होती हैं।
  • उन्होंने बताया कि खाली समय में कालबेलिया समुदाय की महिलाएँ अपने संग्रह के लिये हमेशा रजाई बनाती हैं। एक रजाई या गुदड़ी को पूरा होने में दो से तीन महीने का समय लगता है।