के-4 बैलिस्टिक मिसाइल | 31 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
भारत ने परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियों से 3,500 किलोमीटर प्रति घंटे की मारक क्षमता वाली के-4 मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
मुख्य बिंदु
- प्रक्षेपण मंच: यह प्रक्षेपण भारतीय नौसेना की परमाणु ऊर्जा से संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) INS अरिघाट से बंगाल की खाड़ी में किया गया।
- सामरिक महत्त्व: यह परीक्षण भारत की समुद्र-आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करता है तथा देश की परमाणु त्रय (Nuclear Triad)- भूमि, वायु और समुद्र से परमाणु हथियारों की तैनाती की क्षमता, को मज़बूती प्रदान करता है।
- द्वितीय-हमला क्षमता: के-4 मिसाइल का यह सफल परीक्षण भारत की द्वितीय-हमला क्षमता को सशक्त बनाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी प्रारंभिक परमाणु हमले के पश्चात भी भारत प्रभावी एवं निर्णायक प्रत्युत्तर देने में सक्षम रहेगा।
- DRDO की भूमिका: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित के-4 मिसाइल ठोस ईंधन तकनीक एवं उन्नत नेविगेशन प्रणालियों से युक्त है, जो इसकी विश्वसनीयता तथा सटीकता को बढ़ाती है।
- बैलिस्टिक मिसाइलों की विशेषताएँ:
- बैलिस्टिक मिसाइलें रॉकेट द्वारा संचालित हथियार प्रणालियाँ होती हैं, जो प्रक्षेपण के बाद मुख्यतः मुक्त-पतन पथ का अनुसरण करती हैं। ये पारंपरिक या परमाणु युद्धक ले जाने में सक्षम होती हैं और इन्हें भूमि, समुद्र या वायु से प्रक्षेपित किया जा सकता है।
- मारक क्षमता के आधार पर वर्गीकरण:
- छोटी दूरी की मिसाइलें: 1,000 किमी से कम
- मध्यम दूरी की मिसाइलें: 1,000–3,000 किमी
- मध्यवर्ती दूरी की मिसाइलें: 3,000–5,500 किमी
- लंबी दूरी/अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM): 5,500 किमी से अधिक
- अग्नि-V:
- अग्नि-V भारत की सबसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 5,000 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता वाली एक ICBM मिसाइल है।