जयपुर वॉल्ड सिटी | 28 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
यूनेस्को ने शहरी दबावों और अनियमित निर्माण संबंधी चिंताओं चलते राजस्थान के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग से जयपुर वॉल्ड सिटी के संरक्षण एवं प्रबंधन पर एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आग्रह किया है।
मुख्य बिंदु
- जयपुर वॉल्ड सिटी को 18वीं शताब्दी की योजनाबद्ध शहरी वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण होने के कारण वर्ष 2019 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया गया था।
- महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा वर्ष 1727 में स्थापित यह शहर वैदिक सिद्धांतों तथा चौड़ी सड़कों, चौकियों और समान बाज़ारों वाली ग्रिडिरोन योजना पर आधारित है। पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित अन्य शहरों के विपरीत, जयपुर मैदानी क्षेत्रों में बसा हुआ है।
- यह अपनी जीवंत संस्कृति, शिल्प, रत्न व्यापार, हथकरघा और जीवंत बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र के लिये प्रसिद्ध है।
- प्रमुख विशेषताओं में सिटी पैलेस, हवा महल, गोविंद देव जी मंदिर, जंतर मंतर, पारंपरिक गुलाबी अग्रभाग, शहर के द्वार और परस्पर संबद्ध बाज़ार शामिल हैं।
- संरक्षण प्रबंधन योजना (CMP), एकीकृत प्रबंधन योजना और राज्य स्तरीय विरासत विनियमों जैसे ढाँचों के तहत इसका संरक्षण किया जाता है, जो अग्रभाग नियंत्रण, भवन की ऊँचाई, रंग एकरूपता तथा साइनबोर्ड मानकों को नियंत्रित करते हैं।
- इसके खतरों में शहरी भीड़भाड़, अतिक्रमण, संरचनात्मक तनाव, अनियमित व्यावसायीकरण और पारंपरिक वास्तुशिल्प चरित्र की हानि शामिल हैं।