विश्व आदिवासी दिवस | 11 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
विश्व आदिवासी दिवस या विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, मध्य प्रदेश डाक विभाग ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (IGRMS) के सहयोग से तीन दिवसीय डाक टिकट प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
मुख्य बिंदु
- विश्व आदिवासी दिवस के बारे में:
- दिसंबर 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस को मान्यता दिये जाने के बाद, इसे प्रतिवर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है।
- यह दिवस वर्ष 1982 में जिनेवा में स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- 2025 का विषय:
- "स्वदेशी लोग और AI: अधिकारों की रक्षा, भविष्य को आकार देना।"
- विश्व स्तर पर स्वदेशी लोगों से संबंधित मुख्य तथ्य:
- अनुमान है कि विश्व के 90 देशों में 476 मिलियन मूल निवासी रहते हैं।
- वे विश्व की जनसंख्या का 6% से भी कम हैं, लेकिन सबसे गरीब लोगों में कम-से-कम 15% हिस्सा उनका है।
- वे विश्व की अनुमानित 7,000 भाषाओं में से अधिकांश बोलते हैं तथा 5,000 विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2025 इक्वेटर पुरस्कार
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने 2025 इक्वेटर पुरस्कार के लिये चुने गए दस स्वदेशी नेतृत्व वाले, समुदाय-आधारित संगठनों की घोषणा की है तथा उनके पर्यावरण-केंद्रित समाधानों को मान्यता दी है, जो इस वर्ष के पुरस्कार विषय, "जलवायु कार्रवाई के लिये प्रकृति" के अनुरूप हैं।
- विजेताओं में से एक, भारत की बिबिफातिमा स्व सहाय, बहु-फसल, बीज बैंकों और सौर ऊर्जा प्रसंस्करण के माध्यम से गाँव के किसानों का समर्थन करती हैं तथा पारंपरिक ज्ञान को पुनर्योजी कृषि तथा नवीकरणीय ऊर्जा के साथ मिश्रित करती हैं।
भारत में आदिवासियों से संबंधित प्रमुख तथ्य
- भारत में, 'आदिवासी' शब्द का तात्पर्य विभिन्न जातीय और जनजातीय समूहों से है, जिन्हें आदिवासी आबादी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- अनुसूचित जनजाति (एसटी) वे स्वदेशी समुदाय हैं, जिन्हें सरकार द्वारा विशेष सुरक्षा और समर्थन के लिये मान्यता दी गई है।
- 2011 की जनगणना के अनुसार ये पैतृक समूह भारत की सामान्य जनसंख्या का लगभग 8.6% हैं, जो कुल मिलाकर लगभग 104 मिलियन है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- लोकुर समिति (1965) के अनुसार, जनजातियों की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- आदिम लक्षणों का संकेत
- विशिष्ट संस्कृति
- बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क करने में संकोच
- भौगोलिक अलगाव
- पिछड़ापन
- लोकुर समिति (1965) के अनुसार, जनजातियों की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- अनुसूचित जनजातियों के लिये संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 15(4): अन्य पिछड़े वर्गों (इसमें अनुसूचित जनजातियाँ भी शामिल हैं) की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण (इसमें अनुसूचित जनजातियाँ भी शामिल हैं)
- अनुच्छेद 46: राज्य कमज़ोर वर्गों (अनुसूचित जनजातियों सहित) का कल्याण सुनिश्चित करेगा तथा उन्हें अन्याय और शोषण से बचाएगा।
- अनुच्छेद 275: अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और प्रशासन को बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार से राज्य सरकार को विशेष निधि का आवंटन।
- अनुच्छेद 350: विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण का अधिकार।
- अनुच्छेद 330 और 332: लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण।