अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस | 03 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
भारत में 2 अक्तूबर को महात्मा गांधी के जन्म दिवस के सम्मान में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन को संपूर्ण विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव को 140 से अधिक देशों ने समर्थन दिया था, जिससे इसे सार्वभौमिक महत्त्व प्राप्त हुआ।
मुख्य बिंदु
महात्मा गांधी के बारे में:
- जन्म: महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था।
- संक्षिप्त परिचय: वे एक प्रसिद्ध वकील, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्त्ता और लेखक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- पुस्तकें: हिंद स्वराज, सत्य के साथ मेरे प्रयोग (आत्मकथा)
- मृत्यु: 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।
- 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का नेतृत्व: महात्मा गांधी 20वीं सदी के प्रारंभ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता बन गए और इन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती देने के लिये अहिंसक प्रतिरोध तथा जन-आंदोलन की वकालत की।
- वर्ष 1924 का बेलगाम अधिवेशन कांग्रेस का एकमात्र ऐसा अधिवेशन था, जिसकी अध्यक्षता गांधी जी ने की थी।
- असहयोग आंदोलन (NCM) (1920-1922): गांधीजी ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड और दमनकारी रॉलेट एक्ट की प्रतिक्रिया में NCM की शुरुआत की।
- उन्होंने भारतीयों से ब्रिटिश संस्थाओं, वस्तुओं और सम्मानों का बहिष्कार करने का आग्रह किया।
- गांधीजी को बोअर युद्ध में उनकी भूमिका के लिये वर्ष 1915 में कैसर-ए-हिंद उपाधि से सम्मानित किया गया था लेकिन उन्होंने जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में वर्ष 1920 में इसे वापस कर दिया था।
- नमक मार्च (1930): गांधीजी ने ब्रिटिश नमक कर के विरोध में गुजरात के तटीय शहर दांडी तक नमक मार्च का नेतृत्व किया। इस क्रम में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।
- भारत छोड़ो आंदोलन (QIM), 1942: गांधीजी ने भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की मांग करते हुए QIM का आह्वान किया।
- उनके नारे "करो या मरो" ने लाखों लोगों को विरोध प्रदर्शनों, हड़तालों और सविनय अवज्ञा के कार्यों में भाग लेने के लिये प्रेरित किया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम में लोगों की भागीदारी में और अधिक वृद्धि हुई।
- अहिंसा का दर्शन: अपने पूरे सक्रियता अभियान के दौरान गांधीजी ने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों पर बल दिया तथा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की वकालत की।
- उनके दृष्टिकोण ने न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रभावित किया बल्कि नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर के नेतृत्व वाले विश्वव्यापी नागरिक अधिकार आंदोलनों को भी प्रेरित किया।