इंडियन टेंट टर्टल | 14 Mar 2022

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्राणि सर्वेक्षण के विज्ञानियों के अध्ययन से मिली जानकारी के अनुसार नर्मदा नदी में अवैध रेत खनन और तस्करी के चलते इसमें पाए जाने वाले इंडियन टेंट टर्टल विलुप्त होने की कगार पर हैं।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय प्राणि सर्वेक्षण के विज्ञानियों ने बताया है कि नर्मदा-तवा नदी के संगम ‘बांद्राभान’ के साथ हरदा और खंडवा के आसपास के बहाव क्षेत्र से ये टर्टल्स पूरी तरह से गायब हो चुके हैं।
  • प्राकृतिक स्वच्छता कर्मी कहलाने वाले ये कछुए काई और शैवाल आदि खाकर जीवित रहते हैं तथा पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं।
  • कछुओं पर शोध कर रहे भारतीय प्राणि सर्वेक्षण के विज्ञानी प्रत्युष महापात्रा ने बताया कि पाँच साल पहले जबलपुर से नर्मदापुरम, हरदा और खंडवा के पास नर्मदा के किनारों पर कछुए पाए गए थे, जो कि इस वर्ष जनवरी में दिखाई नहीं दिये।
  • पर्यावरणविद् सुभाष सी पांडेय ने बताया कि मादा कछुआ रेत में अपने रहवास में अंडे देकर चली जाती है, जो गर्मी में सेये जाते हैं। रेत के अवैध खनन से इनके प्रजनन में व्यवधान हो रहा है।
  • उन्होंने बताया कि नर्मदा में टेंट पेंगासुरआ टेंटोरिया या इंडियन टेंट टर्टल पाए जाते हैं। यह कछुओं की भारत और बांग्लादेश में पाई जाने वाली प्रजाति है।
  • इनके ऊपर मंडराते खतरे को देखते हुए इन्हें शेड्यूल-वन में रखा गया है।