भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल पोत | 11 Dec 2025

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्री सरबानंदा सोनोवाल ने वाराणसी में भारत के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल पोत को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो देश के सतत अंतर्देशीय जल परिवहन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

मुख्य बिंदु

  • तकनीकी उपलब्धि: इस पोत का प्रक्षेपण स्वच्छ ऊर्जा के प्रति भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमताओं और प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे देश हाइड्रोजन-संचालित पोतों को अपनाने वाले देशों जैसे चीन, जापान और नॉर्वे के समकक्ष हो जाता है।
  • सतत ऊर्जा: हाइड्रोजन से चलने वाले पोत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक कदम है, जो लगभग शून्य उत्सर्जन के साथ स्वच्छ, सतत ऊर्जा प्रदान करते हैं, हालाँकि पूर्ण स्तर पर वाणिज्यिक उपयोग अभी भी अनुसंधान के अधीन है।
  • वाराणसी की भूमिका: नमो घाट पर इस परियोजना के शुभारंभ से वाराणसी भारत की हरित जलमार्ग पहल में अग्रणी स्थान पर आ गया है, जिससे आगंतुकों और तीर्थयात्रियों दोनों के लिये परिवहन अनुभव बेहतर होगा तथा पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान मिलेगा।
  • प्रधानमंत्री मोदी का विज़न: हाइड्रोजन पोत पहल प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अंतर्देशीय जलमार्गों का आधुनिकीकरण करना, स्वच्छ परिवहन को प्राथमिकता देना और कनेक्टिविटी तथा सार्वजनिक सुविधा को बढ़ाना है।
  • समुद्री भारत विज़न 2030: यह परियोजना समुद्री भारत विज़न 2030 और समुद्री अमृत काल विज़न 2047 के अनुरूप है, जो अंतर्देशीय जलमार्गों पर हरित परिवहन, स्मार्ट अवसंरचना तथा वैकल्पिक ईंधन पर ज़ोर देती है।
  • आर्थिक प्रभाव: हाइड्रोजन पोत और संबंधित परियोजनाओं का उद्देश्य सतत अवसंरचना को मज़बूत करके, लॉजिस्टिक लागत को कम करके तथा हरित परिवहन समाधानों को बढ़ावा देकर भारत की आर्थिक क्षमता को बढ़ाना है।
  • अन्य विकास परियोजनाएँ : उत्तर प्रदेश के जलमार्ग विकास में 300 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है और आने वाले वर्षों में 2,200 करोड़ रुपये की योजनाओं को शुरू करने की योजना है, जिसमें हल्दिया से वाराणसी तक आधुनिक नौवहन गलियारा भी शामिल है।