भारत IMP काउंसिल में पुनः निर्वाचित | 01 Dec 2025

चर्चा में क्यों?

भारत को वर्ष 2026-27 के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) काउंसिल में श्रेणी B के अंतर्गत सर्वाधिक मतों के साथ पुनः निर्वाचित किया गया है, जिससे वैश्विक समुद्री मामलों में इसकी नेतृत्वकारी भूमिका की पुष्टि होती है।

यह पुनर्निर्वाचन इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 की सफल मेज़बानी के बाद हुआ है जिसमें 100 से अधिक देशों ने भाग लिया था।

प्रमुख बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के बारे में: अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार लाने तथा जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के उपाय करने हेतु उत्तरदायी है। 
  • यह विधिक मामलों में भी शामिल है, जिसमें दायित्व और मुआवजे के मुद्दे, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यातायात की सुविधा भी शामिल है। 
  • इसकी स्थापना 6 मार्च, 1948 को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वावधान में अंगीकृत किये गए एक अभिसमय के माध्यम से की गई थी, तथा इसकी पहली बैठक जनवरी 1959 में हुई थी।
  • IMO काउंसिल:  काउंसिल IMO का कार्यकारी अंग है और सभा के अधीन संगठन के कार्यों की देखरेख हेतु उत्तरदायी है। 
  • काउंसिल 40 सदस्य देशों से बनी है, जिन्हें सभा द्वारा दो वर्ष के कार्यकाल के लिये चुना जाता है।
  • निर्वाचन परिणाम: 
    • लंदन में 34वीं IMO असेंबली के दौरान हुए चुनावों में भारत को 169 वैध मतों में से 154 मत प्राप्त हुए , जो श्रेणी B में सबसे अधिक है, जिसमें 10 प्रमुख समुद्री व्यापार राष्ट्र शामिल हैं।
      • श्रेणी B उन देशों का प्रतिनिधित्व करती है जिनकी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार में सबसे अधिक रुचि है; भारत का पुनः निर्वाचन इसकी बढ़ती समुद्री प्रासंगिकता और प्रभाव को उजागर करता है।
      • भारत के साथ-साथ, श्रेणी B के निर्वाचित सदस्यों में ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, स्वीडन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं, जो प्रमुख समुद्री व्यापारिक राष्ट्रों के समूह को दर्शाते हैं।
  • महत्व:
    • यह भारत का लगातार दूसरा द्विवार्षिक सम्मेलन है, जिसमें उसे श्रेणी B में सर्वाधिक वोट प्राप्त हुए हैं तथा यह अमृत काल समुद्री विज़न 2047 के तहत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी समुद्री केंद्र बनने की दिशा में प्रगति को बल देता है।
    • यह अधिदेश सुरक्षित, संरक्षित, कुशल और हरित समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है तथा देश को वैश्विक नौवहन नीतियों को आकार देने में एक विश्वसनीय समर्थक के रूप में स्थापित करता है।