भारत का पहला जनजातीय गौरव दिवस | 16 Nov 2021

चर्चा में क्यों?

15 नवंबर, 2021 को जंबूरी मैदान भोपाल में देश का पहला जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। उन्होंने इस अवसर पर जनजातीय कल्याण की विभिन्न योजनाओं की शुरूआत की। 

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारत सरकार ने फैसला किया है कि पूरे देश में 15 नवंबर को हर वर्ष मनाई जाने वाली गांधी-पटेल-अंबेडकर जयंती की तरह ही वृहद पैमाने पर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा तथा जनजातीय समाज के योगदान को जन-जन तक पहुँचाया जाएगा। 
  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने ‘राशन आपके ग्राम’ योजना का शुभारंभ करते हुए डिंडोरी के अनिल तथा मंडला के लक्ष्मीनारायण को राशन वाहनों की चाबी सौंपी। इस योजना में राशन गाँव- मजरे, टोलों, फलियों में पहुँचाया जाएगा।
  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सिकल सेल रोग उन्मूलन मिशन का शुभारंभ करते हुए झाबुआ की हशीला, अलीराजपुर की सीना डुडवे तथा झाबुआ के मनीष सिंह सिकरवार को जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड प्रदान किये।
  • प्रधानमंत्री के सम्मुख राशन आपके ग्राम योजना, मध्य प्रदेश सिकलसेल मिशन और प्रदेश में टीकाकरण उपलब्धि तथा शत-प्रतिशत कोविड-19 वेक्सीनेशन उपलब्धि वाले जनजातीय बहुल ग्राम नरसिंहरूंडा ज़िला झाबुआ पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। 
  • प्रधानमंत्री ने 50 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों का वर्चुअल भूमि पूजन और रतलाम ज़िले के बाजना में बने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का लोकार्पण किया।
  • गौरतलब है कि भगवान बिरसा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ था। 19वीं सदी में उन्होंने ब्रिटिश राज द्वारा थोपी गई सामंती व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। इस आंदोलन को उलगुलान (संपूर्ण क्रांति) नाम दिया गया था। भगवान बिरसा ने आदिवासियों को संगठित किया और अंग्रेजों को कर, ब्याज आदि देने से मना कर दिया था। 
  • वर्ष 1900 के जून महीने में बिरसा मुंडा का रांची के कारावास में निधन हो गया था। आदिवासियों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ भगवान बिरसा के संघर्ष के कारण ही वर्ष 1908 में अंग्रेजी शासन ने छोटानागपुर क्षेत्र में काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया था।