बस्तर ओलंपिक का समापन | 15 Dec 2025

चर्चा में क्यों?

बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और बस्तर को देश के सबसे विकसित जनजातीय क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजनाओं की घोषणा की।

मुख्य बिंदु 

  • संक्रमण: गृह मंत्री ने बताया कि बस्तर ने भय से आशा की ओर संक्रमण किया है, जहाँ गोलियों की जगह स्कूल, सड़कें, रेलवे और हाइवे बन चुके हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले बस्तर ओलंपिक तक पूरा देश नक्सल-मुक्त हो जाएगा।
  • उद्घाटन: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जगदलपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम में तीन दिवसीय संभाग स्तरीय बस्तर ओलंपिक का उद्घाटन किया था
  • भागीदारी: इस आयोजन में बस्तर के सभी सात ज़िलों से लगभग 3,500 एथलीटों ने भाग लिया, जिनमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली और नक्सल प्रभावित खिलाड़ी भी शामिल थे, जो नुआ बात श्रेणी के अंतर्गत आते थे।
  • विस्तार: दूसरे संस्करण में भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के 1.65 लाख खिलाड़ियों से बढ़कर इस वर्ष लगभग 3.92 लाख हो गई।
  • समावेशिता: महिलाओं, दिव्यांग खिलाड़ियों, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों और नक्सली हिंसा से प्रभावित लोगों ने ओलंपिक में भाग लिया, जिससे ओलंपिक सामाजिक समावेशिता का प्रतीक बन गया।
  • सशक्तीकरण: बस्तर क्षेत्र में लड़कियों के बीच बढ़ते आत्मविश्वास और सशक्तीकरण को दर्शाते हुए, महिलाओं की भागीदारी में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है।
  • मंच: बस्तर ओलंपिक क्लस्टर, ब्लॉक, ज़िला और संभाग स्तरों पर आयोजित किये गए, जिससे प्रतिभा पहचान के लिये संरचित मार्ग तैयार हुआ।
  • खेल विधाएँ: इस टूर्नामेंट में एथलेटिक्स, तीरंदाज़ी, फुटबॉल, कबड्डी, हॉकी और खो-खो सहित 11 खेल विधाओं को शामिल किया गया था।
  • अवसर: राज्य सरकार ने प्रतिभाशाली एथलीटों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिये तैयार करने हेतु बेहतर प्रशिक्षण तथा अवसर प्रदान करने का आश्वासन दिया।
  • मान्यता: सरकार ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक प्रतियोगिताओं में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वाले छत्तीसगढ़ के एथलीटों के लिये क्रमशः 3 करोड़ रुपये, 2 करोड़ रुपये तथा 1 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कारों की घोषणा दोहराई।
  • परिवर्तन: बस्तर ओलंपिक का समापन बस्तर के संघर्ष से शांति, विश्वास, सांस्कृतिक पुनरुद्धार और समृद्ध भविष्य की आकांक्षाओं की ओर बदलाव के एक मज़बूत प्रतीक के रूप में हुआ।