ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) | 24 Sep 2022

चर्चा में क्यों?

22 सितंबर, 2022 को हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव ने बताया कि एनसीआर के ज़िलों में एक अक्टूबर से ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तहत एनसीआर के ज़िलों में 1 अक्टूबर से जनरेटर सेट के संचालन पर प्रतिबंध होगा। केवल आवश्यक सेवाओं, जैसे- अस्पताल, मेडिकल उपकरण चलाने, सेना से संबंधित कार्यों या अन्य इमरजेंसी हालातों में ही डीजी सेट के प्रयोग की अनुमति होगी।
  • साथ ही जहाँ पर पीएनजी की लाइन बिछ चुकी है वहाँ पर कोयला, डीज़ल व जनरेटर पर आधारित उद्योग नहीं चल सकेंगे। जहाँ पीएनजी की लाइन नहीं बिछ पाई है, वहाँ 1 जनवरी 2023 से यह नियम लागू होगा।
  • पी. राघवेंद्र राव ने बताया कि इस बार एनसीआर में संशोधित ग्रैप लागू किया जा रहा है जिसके तहत वायु की गुणवत्ता के आधार पर ग्रैप को अलग-अलग चार स्टेज में विभाजित किया गया है। एक्यूआई अर्थात् एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से ऊपर पहुँचने पर पहली स्टेज खराब की होगी। 300 से ऊपर दूसरी स्टेज ज़्यादा खराब, एक्यूआई 400 से ऊपर जाने पर स्टेज तीन गंभीर और एक्यूआई 450 से ऊपर जाने पर स्टेज चार ‘वेरी सीवियर’(अति गंभीर) की होगी।
  • गौरतलब है कि हरियाणा के 14 ज़िले एनसीआर क्षेत्र में आते हैं। एनसीआर के ज़िलों में प्रदूषण को कम करने के लिये 500 वर्ग मीटर से ज़्यादा एरिया में निर्माण व तोड़फोड़ के लिये डस्ट कंट्रोल एप पर रजिस्ट्रेशन ज़रूरी होगा।
  • उन्होंने बताया कि ग्रैप लागू होने पर उद्योगों में क्लीन फ्यूल के प्रयोग पर बल दिया जाएगा। जिन उद्योगों में पीएनजी गैस की सप्लाई है, वे अपने यहाँ गैस का प्रयोग करेंगे और जिन उद्योगों में गैस की आपूर्ति अभी तक नहीं हो पाई है वे बायोमास का प्रयोग फ्यूल के तौर पर करें।
  • उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ढाबा, होटल और रेस्टोरेंट आदि में कोयले के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही सभी ज़िलों में एक ज़िला पर्यावरण योजना (डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान) तैयार की जाए।
  • उन्होंने वायु प्रदूषण की रोकथाम में लिये विशेष मॉनिटरिंग टीमों का गठन करने और रात को पेट्रोलिंग करवाने के साथ आकस्मिक तौर पर चेकिंग करवाने की हिदायत भी दी।
  • पी. राघवेंद्र राव ने बताया कि मौसम विभाग की तरह इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटिरियोलॉजी वायु की गुणवत्ता के बारे में तीन दिन पहले ही पूर्व अनुमान बताएगा। पहले वायु को लेकर जानकारी उसी दिन मिलती थी, लेकिन अब लोगों को पहले से ही प्रदूषण स्तर की जानकारी मिल सकेगी। इसका लाभ यी रहेगा कि प्रदूषण से बचने के लिये लोग पहले ही तैयारी कर सकेंगे।