पूरे राज्य का जीआईए मैप किया जाएगा तैयार | 16 May 2023

चर्चा में क्यों?

14 मई, 2023 को उत्तराखंड राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव, चंद्रेश यादव ने मीडिया को बताया कि पहली बार आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए प्रदेश की संपूर्ण भूमि का सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके बाद पूरे प्रदेश का जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) से नक्शा तैयार किया जाएगा। 

प्रमुख बिंदु  

  • राज्य सरकार की ओर से इसके लिये 150 करोड़ रुपए के बजट की व्यवस्था की गई है। उत्तराखंड राजस्व परिषद को इस काम के लिये नोडल एजेंसी बनाया गया है।  
  • उत्तराखंड राजस्व परिषद डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के तहत राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि का सर्वेक्षण करेगी। इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों की भूमि का ब्योरा भी जुटाया जाएगा। 
  • डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के तहत प्रदेश की संपूर्ण भूमि के सर्वेक्षण का काम करीब दो साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्य सचिव की ओर से आदेश निर्गत होने के बाद आरएफटी टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।  
  • सर्वे का काम एरियल लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक से किया जाएगा। यह सर्वे की एरियल मैपिंग तकनीक है, जो धरती की सतह से कैलिब्रेटेड लेजर रिटर्न का उपयोग करती है और ऑन-बोर्ड पोजिशनल और आईएमयू सेंसर से लैस जीपीएस-निगरानी वाले विमान के माध्यम से पूरी की जाती है। 
  • विदित है कि प्रदेश का अधिकांश भूभाग (नौ ज़िले) पर्वतीय होने के कारण तमाम जमीनें गोल खातों के विवाद में उलझी हैं। सरकार कई विकास योजनाओं को भूमि की अनुपलब्धता के कारण शुरू नहीं कर पा रही है। वहीं, कई विभागों के पास अपनी ही उपलब्ध भूमि का रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। 
  • इन सब समस्याओं से पार पाने के लिये सरकार ने अब संपूर्ण भूमि का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इसके लिये मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में शासी निकाय का गठन किया गया है, जिसमें सभी विभागों के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव व विभागाध्यक्षों को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। 
  • प्रदेश में संपूर्ण भूमि का सर्वे होने और जीआईएस मैप तैयार हो जाने के बाद भूमि विवाद से संबंधी मसलों को हल करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही प्लानिंग के स्तर पर सरकार को निर्णय लेने में आसानी होगी। हर भूमि का भू आधार नंबर (यूएलआईपीएन) तैयार होगा।