मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ हरित परिषद की प्रथम बैठक | 05 Jan 2022

चर्चा में क्यों?

3 जनवरी, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में प्रदेश में रि-जेनरेटिव डेवलपमेंट को गति प्रदान करने के लिये गठित छत्तीसगढ़ हरित परिषद की प्रथम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में पर्यावरणीय मुद्दे को हल करने के लिये परिषद के दृष्टिकोण और मुख्य गतिविधियों को अंतिम रूप दिया गया।

प्रमुख बिंदु

  • रि-जेनरेटिव डेवलपमेंट (पुनरुत्पादन विकास), सस्टेनेबल डेवलपमेंट से अधिक प्रगतिशील अवधारणा है, जिसमें उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग के साथ-साथ संसाधनों की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ न्यू एज ग्रीन इकॉनमी के तहत लाईवलीहुड से स्थानीय लोगों की आय में वृद्धि के लिये कार्य किया जाता है। 
  • मुख्यमंत्री ने बैठक में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर छत्तीसगढ़ की हरित राज्य के रूप में ब्रांडिंग, जैविक उत्पादों के मार्केट लिंकेज, प्रशिक्षण के माध्यम से स्व-सहायता समूहों की क्षमता निर्माण, ज़िलों की विशेषता के अनुसार विकास और स्थानीय निवासियों को जोड़कर आर्थिक मूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने की ज़रूरत पर बल दिया। 
  • उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ संभवत: देश का पहला राज्य है, जहाँ हरित परिषद का गठन किया गया है। हरित परिषद के माध्यम से राज्य में हरित एवं टिकाऊ अर्थव्यवस्था को और अधिक मज़बूत करने के प्रयास किये जाएंगे। 
  • सरकार की पहल में स्थायी वन, औषधीय, हर्बल और अन्य उत्पादों को बाज़ार से जोड़ने के लिये महिला स्व-सहायता समूहों की क्षमता का निर्माण, छत्तीसगढ़ में विशेषज्ञ कंपनियों को आमंत्रित करना और राज्य के भीतर कार्बन क्रेडिट कार्यक्रम शुरू करना शामिल होगा।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पिछले तीन वर्षों के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिये पर्यावरण हितैषी अनेक योजनाएँ, जैसे ‘सुराजी गाँव योजना’के अंतर्गत ‘नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना’, ‘गोधन न्याय योजना’, गोठानों में गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करने का कार्य, ‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना’के अंतर्गत वन क्षेत्रों में विस्तार के साथ-साथ स्थानीय वनवासियों की आय में वृद्धि, लघु वनोपजों में वेल्यू एडिशन प्रारंभ की गई हैं, जो पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक सशक्तीकरण को गति दे रही हैं। 
  • कार्बन उत्सर्जन के संबंध में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है। पराली न जलाकर उसका उपयोग चारे के रूप में करने से कार्बन उत्सर्जन (प्रदूषण) में कमी लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ सिक्किम के बाद दूसरा जैविक राज्य साबित हो सकता है। 
  • मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि हर ज़िले में रि-जेनरेटिव डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिये एक नोडल अधिकारी तैनात किया जाए, ज़िलों की विशेषता का चिह्नांकन कर विशेषज्ञों की सहायता से वहाँ विकास के कार्य किये जाएँ। 
  • उन्होंने छत्तीसगढ़ की ब्रांडिंग की दिशा में भी प्रयास करने के निर्देश दिये। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में इस तरह का प्रगतिशील कदम उठाने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य होगा।