‘ई-वेस्ट कलेक्शन ड्राईव’ के तृतीय चरण का शुभारंभ | 03 Mar 2022

चर्चा में क्यों?

  • 2 मार्च, 2022 को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की अध्यक्ष वीनू गुप्ता ने मंडल के मुख्यालय से ‘ई-वेस्ट कलेक्शन ड्राईव’ के तृतीय चरण का शुभारंभ करते हुए ई-वेस्ट कलेक्शन ड्राईव हेतु वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अभियान में अजमेर, पाली, बीकानेर, चूरू, झुंझूनूं व सीकर के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों एवं रिहायशी कॉलोनियों तथा रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन, शॉपिंग मॉल व अन्य वाणिज्यिक संस्थानों हेतु ‘ई-वेस्ट कलेक्शन ड्राईव’ का आयोजन किया जाएगा।
  • 2 से 15 मार्च, 2022 तक चलने वाले इस ड्राईव में राज्य में ई-वेस्ट के अधिकृत डिस्मेंटलर अथवा रिसाईक्लिर्स द्वारा औद्योगिक इकाईयों से ई-वेस्ट एकत्रित किया जाएगा तथा उन्हें इस हेतु उचित प्रोत्साहन राशि व प्रमाण-पत्र भी दिया जाएगा।
  • इस ड्राईव की सतत् निगरानी राज्य मंडल के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के स्तर पर की जाएगी।
  • रिहायशी क्षेत्रों और रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन एवं अन्य वाणिज्यिक संस्थानों से गोदरेज एप्लाईसेंस द्वारा चलाई जाने वाली ‘मोबाइल वैन’ के माध्यम से ई-वेस्ट एकत्रित किया जाएगा। मोबाईल वैन द्वारा ई-वेस्ट के संबंध में पोस्टरों तथा बैनरों के माध्यम से जागरूकता भी लाई जाएगी।
  • इस अवसर पर वीनू गुप्ता ने बताया कि राज्य की वर्ष 2022-23 की बजट घोषणाओं में सरकार द्वारा ‘ई-वेस्ट पॉलिसी’ बनाने तथा ‘ई-वेस्ट हेतु रिसाईक्लिंग पार्क’ विकसित करने की घोषणा की गई है।
  • पूर्व में भी ई-वेस्ट के वैज्ञानिक निस्तारण को सुनिश्चित करने व आमजन को जागरूक करने हेतु ‘ई-वेस्ट कलेक्शन ड्राईव’ के दो चरण सफलतापूर्वक आयोजित किये जा चुके हैं। प्रथम चरण में जयपुर, कोटा एवं उदयपुर की औद्योगिक इकाईयों से 11 मीट्रिक टन ई-वेस्ट एकत्रित किया गया था।
  • द्वितीय चरण में अलवर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी एवं जोधपुर में रिहायशी तथा औद्योगिक क्षेत्रों से मोबाईल वैन चलाकर 66 मीट्रिक टन ई-वेस्ट एकत्रित किया गया। इस चरण में उपभाक्ताओं को ई-वेस्ट के बदले में लगभग 20 लाख रुपए की राशि उचित मूल्य के रूप में प्रदान की गई।
  • ई-वेस्ट के प्रतिवर्ष उत्पन्न होने के सही आंकड़े उपलब्ध कराने हेतु मंडल द्वारा एन्वायरनमेंट प्रोटेक्शन ट्रेनिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (ई.पी.टी.आर.आई.), हैदराबाद के साथ एग्रीमेंट किया गया है। यह संस्थान राज्य के पाँच शहरों में ई-वेस्ट इन्वेन्टराईजेशन हेतु स्टडी कर राज्य में प्रतिवर्ष उत्पन्न ई-वेस्ट की मात्रा का आकलन करेगा। इसी प्रकार प्लास्टिक वेस्ट हेतु भी एक संस्थान द्वारा इन्वेन्टराईजेशन का कार्य किया जा रहा है।