वायुमंडल की वाष्प और भाप से बनेगा पीने का पानी, रुद्रपुर में लगेगा प्रदेश का पहला प्लांट | 25 Jul 2023

चर्चा में क्यों?

24 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश का पहला कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट स्थापित करने वाली रुद्रपुर ग्रीन एनर्जी कंपनी अब रुद्रपुर में वायुमंडल की वाष्प और भाप से पीने का पानी बनाने का प्लांट भी लगाएगी। कंपनी के अधिकारी प्लांट लगाने के लिये रुद्रपुर नगर निगम के मेयर व नगर आयुक्त से चर्चा कर चुके हैं। 

प्रमुख बिंदु  

  • जानकारी के अनुसार कचरे से सीएनजी और सीएनजी से बिजली बनाने के बाद अब रुद्रपुर ग्रीन एनर्जी कंपनी वायु से पीने का पानी बनाने की पहल करने जा रही है। इसके लिये कंपनी ने एरो वाटर प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध कर लिया है।  
  • रुद्रपुर ग्रीन एनर्जी कंपनी के निदेशक समीर रेगे और परियोजना प्रभारी विकास कुमार ने बताया कि आधुनिक तकनीक के दौर में अब वाष्प, भाप और नमी से पीने का पानी बनाने का प्लांट लगने लगा है। इस तकनीक का इस्तेमाल कर जीवन में कभी भी पानी की कमी महसूस नहीं होगी।  
  • उन्होंने बताया कि करोड़ों रुपए की लागत से लगने वाले प्लांट को लेकर रुद्रपुर नगर निगम से संपर्क किया गया है। हालाँकि अभी मेयर रामपाल और नगर आयुक्त विशाल मिश्रा प्लांट को लगाने के लिये उच्चाधिकारियों से विचार कर रहे हैं। 
  • कंपनी की ओर से रुद्रपुर की कल्याणी नदी की सफाई व उसका जीर्णोद्धार करने के लिये भी परियोजना बनाई गई है। कल्याणी नदी के समीप जगह-जगह ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से वह स्वच्छ हो सकती है।  
  • अधिकारियों ने बताया कि कंपनी की ओर से किसानों के लिये खाद के खर्चे को कम करने के लिये कल्याणी ब्रांड के तहत तरल खाद कम्युनिटी टैंक लॉन्च करने की भी परियोजना बनाई है। शहर के विभिन्न स्थलों पर खाद केंद्र बनाए जाएंगे। 
  • रुद्रपुर ग्रीन एनर्जी कंपनी के परियोजना प्रभारी विकास कुमार ने बताया कि बिल्ड ऑन ऑपरेट एंड ट्रांसफर की तकनीक से कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र की स्थापना की गई है। पहले चरण में परियोजना की क्षमता प्रतिदिन 20 टन गीले बायोडिग्रेडेबल कचरे का उपयोग करते हुए कंप्रेस्ड बायोगैस के साथ सूखा और तरल जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। जल्द ही प्लांट की क्षमता 50 टन गीले कचरे से सीएनजी बनाने तक की है।  
  • बायोगैस का उपयोग खाना बनाने और बिजली उत्पादन के लिये किया जाएगा। कंप्रेस्ड बायोगैस का उपयोग परिवहन के लिये वाहन के ईंधन के रूप में किया जाएगा।