मध्य प्रदेश में गधों की संख्या में भारी गिरावट | 23 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
21वीं पशुधन गणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में कुल 3.75 करोड़ पशु हैं, लेकिन गधों की संख्या बहुत कम है और पिछले कुछ वर्षों में इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
मुख्य बिंदु:
- परिचय: गधे, जो कभी मध्य प्रदेश में ग्रामीण परिवहन और व्यापार का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा थे, अब कई ज़िलों में स्थानीय स्तर पर लगभग लुप्तप्राय हो गए हैं, जिससे जैवविविधता के नुकसान और ग्रामीण समुदायों की आजीविका को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न हो गई है।
- आबादी में कमी: राज्य में गधों की संख्या में तेज़ गिरावट आई है, जो वर्ष 1997 में 49,289 थी और 2025 तक घटकर केवल 3,052 रह गई, जो तीन दशकों से भी कम समय में 94% की कमी को दर्शाती है।
- सबसे ज़्यादा गधे वाले ज़िलों में नर्मदापुरम (332), छतरपुर (232), मुरैना (228) और रीवा (226) शामिल हैं।
- विदिशा, जहाँ कभी 6,400 से ज़्यादा गधे थे, अब केवल 171 बचे हैं, वही भोपाल में सिर्फ 56 जनसँख्या है।
- डिंडोरी, निवाड़ी, सिवनी, हरदा और उमरिया जैसे ज़िलों में गधे एक भी नहीं हैं, जो स्थानीय स्तर पर उनके विलुप्त होने का संकेत है।
- गिरावट के कारण:
- गधों की खाल का अवैध व्यापार: चीन में “एजियाओ” उद्योग की माँग के कारण, जहाँ गधों की खाल को उबालकर जिलेटिन निकाला जाता है, जिसका उपयोग पारंपरिक टॉनिक, कामोर्धक और एंटी-एजिंग उत्पादों में किया जाता है।
- परंपरागत उपयोग में गिरावट: परिवहन और कृषि में यंत्रीकरण ने ग्रामीण क्षेत्रों में गधों की आर्थिक उपयोगिता को कम कर दिया है।
मध्य प्रदेश में पशुधन जनसंख्या
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प्रजाति |
जनसंख्या |
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गाय |
1,57,00,000 |
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भैंस |
1,02,00,000 |
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बकरियां |
1,09,00,000 |
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भेड़ |
5,58,324 |
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घोड़े |
9,971 |
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खच्चर |
972 |
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ऊँट |
2,896 |
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सूअर |
89,177 |
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गधे |
3,052 |
पशुधन गणना
- देशभर में प्रत्येक पाँच वर्षों पर पशु गणना आयोजित की जाती है, जो वर्ष 1919 से लगातार जारी है।
- वर्ष 2019 में आयोजित 20वीं गणना के अनुसार, भारत में कुल पशु संख्या 535.78 मिलियन है।
- कुल बोवाइन संख्या (गाय, भैंस, मिथुन और याक) 302.79 मिलियन थी।
- पशुपालन के विकास के उद्देश्य से 2014-15 में राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) की शुरुआत की गई, जिसमें तीन उप-मिशन शामिल हैं:
- पशुधन और मुर्गी पालन के नस्ल विकास
- चारा और आहार विकास
- विस्तार और नवाचार कार्यक्रम