कूनो पालपुर के विस्थापित ग्रामों को मिलेगा राजस्व ग्राम का दर्जा | 12 Sep 2022

चर्चा में क्यों? 

11 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कूनो पालपुर नेशनल पार्क में आयोजित चीता मित्र सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कूनो नेशनल पार्क से विस्थापित हुए ऐसे ग्राम जो अभी भी मजरे टोले हैं, उन्हें पूर्ण राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में 5 स्किल डेवलपमेंट केंद्र बनाए जाएंगे। इनमें क्षेत्रीय युवाओं को प्रशिक्षण दिलाकर रोज़गार उपलब्ध कराया जाएगा।
  • गौरतलब है कि कूनो नेशनल पार्क में काफी पहले एशियाटिक लायन को बसाने के लिये स्थानीय दो दर्ज़न गाँवों के सहरिया आदिवासियों को विस्थापित किया गया था।
  • श्योपुर के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में अफ्रीकन देश नामीबिया से चीतों को लाकर बसाया जा रहा है। पहले एशियन चीतों को कूनो में बसाने की योजना थी लेकिन ईरान में उनकी सीमित संख्या को देखते हुए अफ्रीका के चीतों को अब कूनो लाया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के दौरे पर रहेंगे। इसी दिन कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीतों की शिफ्टिंग होगी।
  • सरकार के सूत्रों ने बताया कि नामीबिया से 8 चीतों की भारत लाने के लिये MoU किया गया था, लेकिन तीन चीते भारत सरकार ने रिजेक्ट कर दिये हैं, इसलिये पहले चरण में पाँच चीते कूनो नेशनल पार्क में शिफ्ट किये जा रहे हैं।
  • वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, चीतों को फिर से देश में लाने के लिये लंबे समय से प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को इसकी मंज़ूरी दी थी। प्रयोग के लिये अफ्रीकन चीतों को भारत के जंगलों में लाया जा रहा है।
  • चीतों को भारत लाने की पहल 2010 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने की थी। पहली बार 28 जनवरी, 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने चीतों को भारत लाने की अनुमति दी थी। साथ ही, कोर्ट ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को चीतों के लिये उपयुक्त जगह खोजने का आदेश दिया था। कई राष्ट्रीय उद्यानों पर विचार के बाद एक्सपर्ट्स ने पृथ्वी पर जाने वाले सबसे पाए तेज जानवर की देश में वापसी के लिये मध्य प्रदेश के श्योपुर के कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान को चुना।
  • गौरतलब है कि भारत में 70 साल पहले चीते विलुप्त हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में आखिरी बार 1950 में चीता देखा गया था। इसके बाद ये देश में कहीं नज़र नहीं आए।
  • कूनो पालपुर नेशनल पार्क 750 वर्ग किमी. में फैला है जो कि 6,800 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले खुले वन क्षेत्र का हिस्सा है। चीतों को फिर से बसाने के लिये देश के सबसे बेहतर पर्यावास में से यह एक है। इसमें चीतों के लिये अच्छे शिकार की सुविधा भी मौज़ूद है, क्योंकि यहाँ हिरण, चिंकारा, नीलगाय, सांभर, लंगूर एवं चीतल बड़ी तादाद में पाए जाते हैं।