मध्य प्रदेश में स्वर्ण अयस्क की खोज | 07 Aug 2025

चर्चा में क्यों?

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा किये गए सर्वेक्षण के दौरान, मध्य प्रदेश के जबलपुर ज़िले की सिहोरा तहसील के महगवाँ और केवलारी क्षेत्रों में स्वर्ण अयस्क भंडार की खोज की गई।

मुख्य बिंदु

  • सर्वेक्षण और निष्कर्ष:
    • यद्यपि इस क्षेत्र में लौह अयस्क प्रचुर मात्रा में है, लेकिन पहली बार स्वर्ण अयस्क की भी जानकारी मिली है; भूवैज्ञानिकों को लौह अयस्क के साथ-साथ सीमित मात्रा में स्वर्ण अयस्क भी मिला है।
    • जबलपुर में सोने का भंडार अनुमानतः 100 हेक्टेयर में फैला हुआ है तथा विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसकी मात्रा लाखों टन तक पहुँच सकती है।
    • प्रारंभिक मृदा नमूने से इस क्षेत्र में ताँबे और अन्य मूल्यवान धातुओं की उपस्थिति का भी पता चला है।
  • अन्य स्वर्ण परियोजनाओं से निकटता:
    • जबलपुर में सोने की खोज इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह कटनी ज़िले के धिमरखेड़ा क्षेत्र में स्थित इमलिया स्वर्ण और बेस मेटल खंड परियोजना के समीप है। 
    • यह भौगोलिक निकटता दर्शाती है कि महगवाँ और केवलारी जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में भी इमलिया जैसी खनिज संरचना मिल सकती है।
      • इमलिया स्वर्ण खदान, जिसे 50 वर्षों के लिये पट्टे पर दिया गया है, इस पूरे क्षेत्र को खनिज दृष्टि से समृद्ध बनाता है।
  • महत्त्व
    • सोने की खोज से मध्य प्रदेश में खनिज अन्वेषण में वृद्धि हो सकती है, जिससे क्षेत्र में पहले से ज्ञात लौह अयस्क और मैंगनीज़ के भंडार में सोना भी शामिल हो जाएगा।
    • यह खोज स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और जबलपुर को भारत के प्रमुख खनिज समृद्ध क्षेत्रों में स्थापित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

मध्य प्रदेश में खनिज संसाधन

  • मध्य प्रदेश भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ प्रसिद्ध पन्ना खदानों से हीरा निकाला जाता है।
  • यह राज्य कॉपर कंसंट्रेट, डायास्पोर, पाइरोफिलाइट, मैंगनीज़ अयस्क, चूना पत्थर और मृदा (अन्य) का भी प्रमुख उत्पादक है।
  • राज्य में देश के 90% हीरा, 74% डायास्पोर, 55% लेटेराइट, 48% पाइरोफिलाइट, 41% मोलिब्डेनम, 27% डोलोमाइट, 19% ताँबे का अयस्क, 18% फायर क्ले, 12% मैंगनीज़ तथा 8% रॉक फॉस्फेट अयस्क संसाधन मौजूद हैं।