मध्य प्रदेश में हरित शहरों का विकास | 17 May 2025
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के प्रमुख ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन शहरों को “ग्रीन सिटी” के रूप में विकसित करने हेतु योजना शुरू की है।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे मे:
- यह योजना नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025 के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत लाई गई है।
- नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, राज्य शासन और संबंधित नगर निकाय इसके क्रियान्वयन के लिये ज़िम्मेदार होंगे।
- योजना का उद्देश्य अगले दो वर्षों में मध्य प्रदेश के 10 प्रमुख शहरों को पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छ ऊर्जा के लिये मॉडल ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करना है।
- महेश्वर, चंदेरी, मांडू, ओरछा, अमरकंटक, भीमबेटका, ओंकारेश्वर और चित्रकूट जैसे ऐतिहासिक व धार्मिक शहर योजना में शामिल होंगे।
- सरकार ने इस पहल की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में साँची और खजुराहो से की है।
- हरित ऊर्जा का उपयोग
- इन शहरों में 75% बिजली की आपूर्ति सौर एवं अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से की जाएगी।
- धार्मिक स्थलों, स्कूलों, आंगनवाड़ियों, स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी संस्थानों में पूरी तरह हरित ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा।
- मुख्य विशेषताएँ:
- सभी स्ट्रीट लाइट्स सोलर से संचालित होंगी।
- हॉकर्स और वेंडर्स को सोलर लैंटर्न उपलब्ध कराए जाएंगे।
- बड़े उपभोक्ताओं (6 किलोवाट से अधिक) को सौर ऊर्जा अपनाने के लिये प्रोत्साहन और सहायता।
- बहुमंज़िला इमारतों में सोलर रूफटॉप अनिवार्य होगा।
- इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा और उनके चार्जिंग स्टेशनों में 50% ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से ली जाएगी।
- बायोगैस प्लांट और सामुदायिक सौर खेती को बढ़ावा।
- महत्त्व
- इस योजना से प्रदूषण में कमी आएगी और हरित ऊर्जा के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन घटेगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से राज्य की ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत होगी।
- ये स्थल स्वच्छ और ऊर्जा कुशल बनेंगे, जिससे पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा।
- यह योजना मध्य प्रदेश के सतत विकास व स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य को मज़बूत करेगी।
नवीकरणीय ऊर्जा
- यह ऐसी ऊर्जा है, जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार, जल और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि यह कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जाता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों (जो कि दुनिया के काफी सीमित क्षेत्र में मौजूद हैं) की अपेक्षा काफी विस्तृत भू-भाग में फैले हुए हैं और ये सभी देशों को काफी आसानी हो उपलब्ध हो सकते हैं।
- ये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े होते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs):
- परिचय: इलेक्ट्रिक वाहन ऐसे वाहन हैं जो पेट्रोल या डीजल से चलने वाले पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (ICE) के बजाय प्रणोदन के लिये एक या एक से अधिक इलेक्ट्रिक मोटरों का उपयोग करते हैं।
- यद्यपि इलेक्ट्रिक वाहनों की अवधारणा लंबे समय से चली आ रही है, ईंधन आधारित वाहनों के बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों के कारण पिछले दशक में इसमें व्यापक रूप से रुचि बढ़ी है।
- प्रकार:
- बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEVs): ये प्रणोदन के लिये पूरी तरह बैटरी शक्ति पर निर्भर होते हैं तथा शून्य टेलपाइप उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं।
- प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (PHEV): इनमें इलेक्ट्रिक मोटर के साथ ही गैसोलीन इंजन मौजूद होता है। इन्हें बाह्य रूप से चार्ज किया जा सकता है और सीमित दूरी तक बैटरी पावर पर चलाया जा सकता है, जबकि लंबी यात्राओं के लिये गैसोलीन इंजन का उपयोग किया जा सकता है।
- हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (HEVs): इनमें इलेक्ट्रिक मोटर और गैसोलीन इंजन दोनों का उपयोग होता है, लेकिन बैटरी को सीधे प्लग-इन कर चार्ज नहीं किया जा सकता।
- बैटरी को गैसोलीन इंजन या पुनर्योजी ब्रेकिंग (regenerative braking) के माध्यम से चार्ज किया जाता है।