छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों का विस्तार | 07 Feb 2024

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (FAC) ने छत्तीसगढ़, ओडिशा, मेघालय में कई खदानों के विस्तार और उद्घाटन तथा असम के वन्यजीव समृद्ध दोयांग आरक्षित वन में खोजपूर्ण ड्रिलिंग के लिये "सैद्धांतिक" मंज़ूरी दे दी है।

मुख्य बिंदु:

  • इनमें से तीन खदानें छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले में हैं। ये हैं– गेवरा खदान, कुसमुंडा खदान और दीपका ओपनकास्ट कोयला खदान।
  • छत्तीसगढ़ में, FAC ने "सैद्धांतिक" अनुमोदन की सिफारिश की:
    • गेवरा खदान के विस्तार के लिये अतिरिक्त 94.293 हेक्टेयर वन के डायवर्जन हेतु।
    • कुसमुंडा खदान के विस्तार के लिये अतिरिक्त 43.942 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन के लिये।
      • कुसमुंडा ओपनकास्ट खदान हसदेव की सहायक नदी के निकट बहती है जो इसे विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्र बनाती है।
    • कोरबा के कटघोरा वन में अतिरिक्त 0.093 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्ज़न के लिये साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (SECL) दीपका ओपनकास्ट कोयला खदान को।
  • FAC ने सिफारिश की है कि छत्तीसगढ़ सरकार जलग्रहण क्षेत्र का उपचार सुनिश्चित करे और SECL को हसदेव नदी के संरक्षण के लिये जल संसाधन विभाग द्वारा लगाए गए नियमों का पालन करने का निर्देश दे।

वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee- FAC)

  • यह एक वैधानिक निकाय है जिसका गठन वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 द्वारा किया गया था।
  • FAC ‘केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ (Ministry of Environment, Forest and Climate Change-MOEF&CC) के अंतर्गत कार्य करती है।
  • यह समिति गैर-वन उपयोगों जैसे- खनन, औद्योगिक परियोजनाओं आदि के लिये वन भूमि के प्रयोग की अनुमति देने और सरकार को वन मंज़ूरी के मुद्दे पर सलाह देने का कार्य करती है। हालाँकि इसकी भूमिका सलाहकारी है।

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL)

  • SECL भारत की सर्वाधिक कोयला उत्पादक कंपनी है। SECL की कोयला खदानें दो राज्यों अर्थात् छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में फैली हुई हैं।
  • यह 65 कोयला खदानों का संचालन करती है, जिनमें से 39 कोयला खदानें छत्तीसगढ़ राज्य में हैं, जबकि शेष 26 कोयला खदानें मध्य प्रदेश में स्थित हैं। इन 65 कोयला खदानों में से 46 खदानों में खनन की भूमिगत विधि से कार्य किया जाता है जबकि बाकी 19 खदानें ओपनकास्ट खदानें हैं।

हसदेव नदी

  • हसदेव नदी महानदी की एक सहायक नदी है जो छत्तीसगढ़ से निकलती है और ओडिशा से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • हसदेव के वन, हसदेव नदी पर बने हसदेव बांगो बांध का जलग्रहण क्षेत्र भी हैं, जो छह लाख एकड़ भूमि को सिंचित करता है और मुख्य फसल धान वाले राज्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • इसके अलावा, समृद्ध जैवविविधता और हाथियों के लिये एक बड़े प्रवासी गलियारे की उपस्थिति के कारण वन पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हैं।