मुख्यमंत्री ने किया छत्तीसगढ़ी नाटक ‘सुराजी गांव’का विमोचन | 20 Jul 2023

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय में दुर्गा प्रसाद पारकर की नाट्य रचना ‘सुराजी गांव’का विमोचन किया। 

प्रमुख बिंदु  

  • मुख्यमंत्री को दुर्गा प्रसाद पारकर ने बताया कि यह छत्तीसगढ़ी नाटक राज्य सरकार की महत्त्वकांक्षी योजना ‘नरवा, गरूवा घुरूवा, बाड़ी’पर आधारित है। उन्होंने इस नाटक में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रही योजना नरवा, गरूवा घुरूवा, बाड़ी से ग्रामीणों के जीवन में आ रहे बदलाव को रेखांकित किया है।  
  • ‘सुराजी गांव’रचना के माध्यम से उनका प्रयास राज्य सरकार की इस कल्याणकारी योजना के विषय में लोगों को जागरूक करना है, ताकि लोग इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें।  
  • उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में जल संरक्षण, पशु संवर्द्धन, मृदा स्वास्थ्य और पोषण प्रबंधन को आमजन की सहभागिता से सफल बनाने के लिये ‘सुराजी गांव योजना’2 अक्तूबर, 2019 से शुरू की गई है। इस योजना के तहत नरवा (बरसाती नाले), गरवा (पशुधन), घुरवा (कंपोस्ट खाद निर्माण) और बाड़ी (सब्जी और फलोद्यान) के संरक्षण एवं संवर्द्धन का अभियान प्रारंभ किया गया है।   
  • नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के लगभग 29000 बरसाती नालों को चिन्हित कर उनका ट्रीटमेंट कराया जा रहा है। इससे वर्षाजल का संरक्षण होने के साथ-साथ संबंधित क्षेत्रों का भू-जलस्तर सुधर रहा है। नालों के जरिये ग्रामीणों को कृषि के लिये सिंचाई का पानी मिल रहा, मवेशियों को पीने के पानी की समस्या से निजात मिल रही, साथ ही गर्मी के दिनों में भी ग्रामीणों को निस्तारी के लिये पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। वन्य प्राणियों के लिये भी गर्मी के दिनों में पेयजल की किल्लत नहीं होती और उनके लिये हर वक्त पानी मिल रहा है।  
  • गरवा कार्यक्रम के तहत पशुधन के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये गाँवों में गौठान बनाकर वहाँ पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई हैं। गौठानों में पशुओं के लिये डे-केयर की व्यवस्था है। इसके तहत चारे और पानी का नि:शुल्क प्रबंध किया गया है। इससे मवेशियों को चारे के लिये भी भटकना नहीं पड़ रहा है।  
  • घुरवा कार्यक्रम के माध्यम से जैविक खाद का उत्पादन कर इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।  
  • बारी कार्यक्रम- छत्तीसगढ़ में बाड़ी को बारी कहा जाता है। ग्रामीणों के घरों से लगी भूमि में 3 लाख से अधिक व्यक्तिगत बाड़ियों को विकसित किया गया है। साथ ही गौठानो में बनाई गई करीब 4429 सामुदायिक बाड़ियों के जरिये फल, साग-सब्जियों के उत्पादन से कृषकों को आमदनी के साथ-साथ पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। इस योजना के जरिये ग्रामों और बसाहटों में बाड़ियों को विकसित कर लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।