वन अधिकार मान्यता के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ देश में अव्वल | 04 Sep 2023

चर्चा में क्यों?

3 सितंबर, 2023 को छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार व्यक्तिगत वन अधिकार-पत्र प्रदाय करने में छत्तीसगढ़ राज्य देश में प्रथम स्थान पर है।  

प्रमुख बिंदु  

  • छत्तीसगढ़ में वन अधिकार मान्यता अधिनियम का प्रभावी और संवेदनशीलता के साथ क्रियान्वयन हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप राज्य में आदिवासी-वनवासियों सहित गरीब तथा कमज़ोर वर्ग के समस्त लोगों को काफी राहत मिली है और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हुई है। 
  • छत्तीसगढ़ में वन अधिकार मान्यता-पत्र के संदर्भ में कुल 5 लाख 17 हज़ार 096 हितग्राहियों को वन अधिकार-पत्र प्रदाय किये गए हैं। व्यक्तिगत वन अधिकार-पत्र प्रदाय करने में छत्तीसगढ़ राज्य देश में प्रथम स्थान पर है।  
  • इसके अंतर्गत हितग्राहियों के समग्र विकास के लिये भूमि समतलीकरण, जल संसाधनों का विकास तथा क्लस्टर के माध्यम से हितग्राहियों को अधिकाधिक लाभ के उद्देश्य से अनेक योजनाओं के माध्यम से मदद पहुँचाई गई है।  
  • इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी. श्रीनिवास राव ने बताया कि हितग्राहियों को राज्य की जनहितकारी योजनाओं, जैसे- निजी भूमि पर बाईबेक गारंटी के साथ ‘मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना’, फसल विविधता को प्रोत्साहित करने के लिये धान के बदले अन्य रोपण हेतु प्रोत्साहन राशि का प्रावधान आदि से भी जोड़ा जा रहा है।  
  • इसके तहत भूमि विकास के फलस्वरूप प्रति हितग्राही कृषि उत्पादन बढ़ गया है और अनेक प्रकार की आय-मूलक फसलों (कैश क्रॉप) का उत्पादन भी इन क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसके कारण हितग्राहियों का आजीविका उन्नयन भी सुनिश्चित हुआ है। साथ ही साथ इससे वन सुरक्षा के प्रति जनता का सीधा सरोकार सामने आया है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। 
  • इसी तरह राज्य में सामुदायिक वन अधिकार के अंतर्गत कुल 46000 प्रकरणों को मान्यता प्रदान की गई है, जो कि पुन: देश में सर्वाधिक है। इसके अंतर्गत वनांचलों में निवासरत जन समुदाय को विभिन्न प्रकार के निस्तार संबंधी अधिकार, जैसे- गौण वन उत्पाद संबंधी अधिकार, मछली व अन्य जल उत्पाद तथा चारागाह अधिकार, विशेष पिछड़ी जाति एवं समुदायों, कृषकों को आवास अधिकार, सभी वन ग्रामों, पुराने रहवास क्षेत्रों, असर्वेक्षित ग्राम आदि को राजस्व ग्राम में बदलने के अधिकार आदि शामिल हैं।  
  • इसके अलावा वनांचल क्षेत्र में पाए जाने वाले लघु वनोपज संग्रहण के लिये 67 प्रजातियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है और इस वर्ष छ.ग. राज्य वन अधिकार मान्यता के प्रभावी क्रियान्वयन द्वारा देश का 73 प्रतिशत लघु वनोपज का संग्रहण करने में सफलता प्राप्त की गई है। 
  • वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में कुल 4306 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता-पत्र प्रदाय किये गए हैं। वन संसाधन अधिकार के प्रबंधन हेतु मान्यता प्रदान करने में छत्तीसगढ़ राज्य देश का प्रथम राज्य है, जहाँ व्यापक पैमाने पर वनवासियों के अधिकारों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए वन अधिकार-पत्र प्रदाय किये गए हैं।  
  • इस अधिकार के तहत ग्रामसभा को प्रदत्त मान्यता वाले वन क्षेत्रों के प्रबंधन का अधिकार दिया गया है। उक्त वनों के प्रबंधन हेतु प्रबंध योजना तैयार करने की कार्यवाही प्रगति पर है, जिसके लिये 19 ज़िलों के लगभग 2000 ग्रामों के हितधारकों को प्रबंध योजना तैयार कर कार्य आयोजना के साथ एकीकृत करते हुए प्रबंधन सुनिश्चित करना है। 
  • प्रबंध योजना में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता वाले वन के प्रबंधन हेतु समस्त प्रकार के सर्वेक्षण करते हुए प्रबंधन के सभी आयाम प्रस्तावित हैं। यहाँ यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक ईकाई वन भूमि पर अधिक-से-अधिक लाभ के लिये किस प्रकार का रोपण अथवा संरक्षण संबंधी कार्य प्रस्तावित किया जा सकता है।
  • फाउंडेशन फॉर ईकोलॉजिकल सिक्युरिटी नामक स्वयंसेवी संस्था द्वारा राज्य के 19 ज़िलों के लगभग 700 ग्रामों में प्रसंस्करण एवं आय संसाधन में वृद्धि के लिये संभावनाओं की तलाश और उससे संबंधित प्रशिक्षण दिया गया है। 
  • इसी तरह प्रदान संस्था के द्वारा 05 ज़िलों के 36 गाँवों में कृषि के उन्नत तकनीक एवं प्रसंस्करण के विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही रिक्त स्थानों पर कार्य आयोजना के प्रावधानों को प्रबंध योजना में एकीकृत करते हुए स्थानीय प्रजातियों के लिये बृहद रोपण हेतु योजना तैयार की जा रही है।  
  • राज्य में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत राज्य के 24 ज़िलों में लगभग 106 प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है, जिसमें कुल 5492 हितग्राही लाभान्वित हुए हैं।