छत्तीसगढ़ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2024 | 06 Mar 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने 2 दिवसीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का शुभारंभ किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न बड़े खतरे के कारण प्रकृति को बचाने के लिये और अधिक उपायों एवं प्रयासों का आह्वान किया गया।

  • कॉन्क्लेव का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के तकनीकी सहयोग से किया गया था।

मुख्य बिंदु:

  • आयोजन के दौरान, मुख्यमंत्री ने अनियमित वर्षा, लंबे समय तक सूखे, चक्रवाती वर्षा और मौसमी बदलावों को देश एवं विश्व दोनों को प्रभावित करने वाली मूर्त अभिव्यक्तियों के रूप में उद्धृत करते हुए जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को रेखांकित किया।
    • CM ने प्रकृति, हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए इन चुनौतियों से निपटने के लिये रणनीति बनाने पर ज़ोर दिया।
  • कॉन्क्लेव के दौरान, मुख्यमंत्री ने 'जलवायु परिवर्तन पर छत्तीसगढ़ राज्य कार्य योजना' भी लॉन्च की और बस्तर में पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाओं पर 'एनशियंट विसडम' नामक पुस्तक का अनावरण किया।
  • उन्होंने वर्ष 2015 के पेरिस समझौते को जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि बताया और वैश्विक स्तर पर सहयोग जारी रखने का आग्रह किया।
  • इस सम्मेलन का उद्देश्य विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों, नीति निर्माताओं और आदिवासी समुदायों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान एवं चर्चा को सुविधाजनक बनाना है।

पारिस्थितिक सुरक्षा फाउंडेशन (FES)

  • यह आनंद, गुजरात में स्थित एक पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठन है।
  • वर्ष 2001 में गठित, यह सतत् और न्यायसंगत विकास की नींव है।
  • यह जहाँ आवश्यक हो, देश में पारिस्थितिक उत्तराधिकार की प्रक्रिया और भूमि, वन एवं जल संसाधनों के संरक्षण को मजबूत करने, पुनर्जीवित करने या पुनर्स्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध है।

जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता

  • यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के तहत कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक समझौता है जिसे वर्ष 2015 में अपनाया गया था। इसे UNFCCC COP21 में अपनाया गया था।
  • इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटना और ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करना है, साथ ही वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की महत्त्वाकांक्षा है।
  • इसने क्योटो प्रोटोकॉल का स्थान लिया जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये एक पूर्व समझौता था।
  • पेरिस समझौता ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अनुकूलित करने और जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के अपने प्रयासों में विकासशील देशों को सहायता प्रदान करने के लिये मिलकर कार्य करने हेतु देशों के लिये एक रूपरेखा निर्धारित करता है।
  • पेरिस समझौते के तहत, प्रत्येक देश को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिये अपनी योजनाओं की रूपरेखा बताते हुए,प्रत्येक 5 वर्ष में अपने राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDC) को प्रस्तुत एवं अद्यतन करना आवश्यक है।
    • NDC देशों द्वारा अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अनुकूलित करने के लिये की गई प्रतिज्ञा है।