उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड के गठन को कैबिनेट की मंज़ूरी | 19 Aug 2022

चर्चा में क्यों?

16 अगस्त, 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में राज्य के वन अभयारण्यों के बाहर अनुमेय क्षेत्र में पर्यटन अवसंरचना सुविधाओं के विकास एवं प्रबंधन के लिये उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड (UP Eco-Tourism Development Board ) के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई।

प्रमुख बिंदु

  • ईका-टूरिज्म बोर्ड का मुख्यालय लखनऊ में होगा तथा मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे।
  • इस बोर्ड में 10 विभागों (पर्यटन, वन, आयुष, ग्रामीण विकास, सिंचाई, शहरी विकास, कृषि, बागवानी, खेल और परिवहन) को शामिल किया गया है।
  • बोर्ड की संरचना में ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड तथा ईको-टूरिज्म कार्यकारी समिति रहेगी। कार्यकारी समिति पर्यावरण पर्यटन विकास बोर्ड के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये आवश्यक कार्रवाई हेतु ज़िम्मेदार होगी।
  • इको-टूरिज्म विकास बोर्ड ट्रैकिंग, हाइकिंग, साइकलिंग, कारवां टूरिज्म, सीप्लेन और रिवर क्रूज, एडवेंचर टूरिज्म के साथ-साथ होटल, रिसॉर्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं, बैलूनिंग, जंगल कैंपिंग और ईको-पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिये कल्याण पर्यटन, जैसे– आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा जैसी गतिविधियों को अंजाम देने की सुविधा प्रदान करेगा।
  • विकास बोर्ड के सदस्य दो प्रकार के होंगे। इनमें शासकीय (पदेन) सदस्य एवं विशेष आमंत्री सदस्य रहेंगे। कृषि मंत्री, वन मंत्री, आयुष मंत्री, वित्त मंत्री, पर्यटन मंत्री, सिंचाई मंत्री, ग्राम्य विकास मंत्री, मुख्य सचिव, प्रधान मुख्य संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश वन निगम के एमडी बोर्ड के सदस्य रहेंगे।
  • अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव पर्यटन बोर्ड के सदस्य सचिव होंगे। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन इसके समन्वयक की भूमिका में होंगे।
  • आईआरसीटीसी के प्रतिनिधि, सशस्त्र सीमा बल उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड इंडिया के प्रतिनिधि, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के प्रतिनिधि, कछुआ कंजर्वेशन फंड के प्रतिनिधि, कतर्नियाघाट फाउंडेशन के प्रतिनिधि, पाँच नामित पर्यावरण एवं पर्यटन विशेषज्ञ विशेष आमंत्री होंगे। इसके अलावा विशेष आमंत्री के रूप में पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली दो अन्य ख्यातिप्राप्त संस्थाओं का चयन प्रत्येक दो वर्ष के लिये किया जाएगा।